BNS Section 22 In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम आपको भारतीय न्याय संहिता (Bhartiya Nyay Sanhita) की धारा 22 क्या हैं ( What is BNS Section 22 in Hindi) इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं। पहले हमारे देश में भारतीय दंड संहिता यह कानून था। लेकिन अब इसकी जगह भारतीय न्याय संहिता ने ली हैं। अभी संसद द्वारा पारित तीन विधेयकों ने अब कानून का रूप लिया हैं। भारतीय दंड संहिता को अंग्रेजों ने लागू किया था। अंग्रेजों के समय से भारत में भारतीय दंड संहिता लागू थी।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 22 क्या हैं ? BNS Section 22 In Hindi
अंग्रेजों के काल से जो आपराधिक कानून भारत में लागू थी उनकी जगह लेने वाले तीन संशोधन विधेयकों पर कुछ ही दिन पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दी। अब भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता ने ली हैं। भारतीय न्याय संहिता की धारा 22 में मानसिक रुग्णता वाले व्यक्ती के आपराधिक कार्य के बारे में जानकारी दी है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 22 क्या हैं इसके बारे में विस्तार में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी यह पोस्ट अंत तक जरुर पढ़िए।
भारतीय न्याय संहिता (Bhartiya Nyay Sanhita) की धारा 22 क्या हैं ( What is BNS Section 22 in Hindi) ?-
भारतीय न्याय संहिता की धारा 22 में मानसिक रुग्णता वाले व्यक्ती के आपराधिक कार्य के बारे में जानकारी दी है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 22 के अनुसार कोई बात अपराध नहीं हैं, जो ऐसे व्यक्ती द्वारा की जाती है, जो उसे करते समय मानसिक रुग्णता के कारण उस कार्य की प्रकृति, या यह की जो कुछ वह कर रहा हैं वह दोषपूर्ण या विधि के प्रतिकूल हैं, जानने में असमर्थ हैं।
अब इस धारा को हम आपको आसान भाषा में समझाते हैं। अगर कोई व्यक्ति मानसिक रूप से बिमार हैं या दिमाग की हालत ठीक नहीं हैं और अगर वह व्यक्ती कोई अपराध कर देता हैं जब उसकी हालत ठीक नहीं हैं और उसको यह मालूम नहीं चल रहा हैं की जो कार्य वह कर रहा हैं वह अपराध हैं। ऐसे व्यक्ती को अपराधी नहीं माना जाएगा।
उदाहरण –
1)अजय यह एक व्यक्ती हैं और अजय की दिमाग की हालत ठीक नहीं हैं और बीच बीच में अजय को पागलपन के दौरे पड़ते रहते हैं। इस वजह से उससे कुछ ना कुछ नुकसान होता ही रहता हैं। एक दिन अजय की हालत ज्यादा ही खराब हो जाती हैं और वह घर में आग लगा देता हैं। इस आग में घर के एक व्यक्ती की मृत्यु हो जाती हैं। अब इस मामले में अजय को अपराधी नहीं माना जाएगा क्योंकी अजय की दिमाग की हालत ठीक नहीं हैं।
2) विजय यह एक व्यक्ती हैं और इसकी दिमाग की हालत ठीक नहीं हैं। एक दिन विजय एक मार्केट में जाता हैं और एक व्यक्ती की सोने की चैन चोरी करता हैं और पकड़ा जाता हैं। अब इस मामले में विजय को अपराधी नहीं माना जाएगा क्योंकी विजय की दिमाग की हालत ठीक नहीं हैं।
FAQ
भारतीय न्याय संहिता में कितनी धारा हैं ?
भारतीय न्याय संहिता में 356 धारा हैं।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 22 में किस बारे में जानकारी दी गई है ?
भारतीय न्याय संहिता की धारा 22 में मानसिक रुग्णता वाले व्यक्ती के आपराधिक कार्य के बारे में जानकारी दी है।
भारतीय न्याय संहिता की धारा 22 क्या हैं ?
भारतीय न्याय संहिता की धारा 22 के अनुसार कोई बात अपराध नहीं हैं, जो ऐसे व्यक्ती द्वारा की जाती है, जो उसे करते समय मानसिक रुग्णता के कारण उस कार्य की प्रकृति, या यह की जो कुछ वह कर रहा हैं वह दोषपूर्ण या विधि के प्रतिकूल हैं, जानने में असमर्थ हैं।
इस पोस्ट में हमने आपको भारतीय न्याय संहिता की धारा 22 क्या हैं इसके बारे में जानकारी दी हैं। हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजिए। धन्यवाद !