हॅलो ! इस पोस्ट में हम आपको सिविल लाॅयर या सिविल एडवोकेट कैसे बनें इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं।वकील बनना बहुत लोगों का सपना होता हैं। वकील बहुत प्रकार के होते हैं। जैसे की क्रिमिनल लाॅयर, सिविल लाॅयर, फॅमिली लाॅयर, काॅन्स्टिट्युशनल लाॅयर, साइबर लाॅयर, एनवायरमेंटल लाॅयर आदी। बहुत लोगों का सपना होता हैं सिविल एडवोकेट बनना। सिविल लाॅ को हिंदी में दिवानी कानून कहा जाता हैं।

सिविल लाॅयर पूरी जानकारी Civil Lawyer Information In Hindi
सिविल एडवोकेट को हिंदी में दिवानी वकील कहां जाता हैं। अभी सिविल एडवोकेट की बहुत मांग हैं। सिविल लाॅ गैर अपराधिक मामलों से संबंधित होता हैं। यह ज्यादा से ज्यादा संपत्ति, वैवाहिक, कौटुंबिक और व्यावसायिक मामलों से संबंधित होता हैं। जो वकील दिवानी मामले जैसे की कौटुंबिक और वैवाहिक मामले, संपत्ति के मामले, व्यावसायिक मामले इनमें सलाह देता हैं और केस लड़ता हैं उसे सिविल लाॅयर या सिविल एडवोकेट कहा जाता हैं। सिविल लाॅयर या सिविल एडवोकेट कैसे बनें इसके बारे में विस्तार में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी पोस्ट अंत तक जरुर पढिए।
सिविल लाॅ क्या हैं ?
सिविल लाॅ को हिंदी में दिवानी कानून कहा जाता हैं। सिविल एडवोकेट को हिंदी में दिवानी वकील कहां जाता हैं। सिविल लाॅ गैर अपराधिक मामलों से संबंधित होता हैं। यह ज्यादा से ज्यादा संपत्ति, वैवाहिक, कौटुंबिक और व्यावसायिक मामलों से संबंधित होता हैं। सिविल लाॅ के अंतर्गत संपत्ति का कानून, वैवाहिक और कौटुंबिक कानून, व्यावसायिक कानून, टाॅर्ट लाॅ, काॅर्पोरेट लाॅ, एडमिनिस्ट्रेटिव लाॅ, काॅनस्टिट्युशनल लाॅ यह सब कानून आते हैं।
सिविल लाॅयर या सिविल एडवोकेट कौन है ?
सिविल लाॅयर या सिविल एडवोकेट को हिंदी में दिवानी वकील कहां जाता हैं। सिविल लाॅ में संपत्ति का कानून, वैवाहिक और कौटुंबिक कानून, व्यावसायिक कानून, टाॅर्ट लाॅ, काॅर्पोरेट लाॅ, एडमिनिस्ट्रेटिव लाॅ, काॅनस्टिट्युशनल लाॅ यह सब कानून आते हैं। जो वकील इस तरह के मामलों में सलाह देते हैं और केस लड़ते हैं उन्हें सिविल लाॅयर या सिविल एडवोकेट कहा जाता हैं। अभी सिविल लाॅयर की बहुत मांग हैं।
सिविल लाॅयर और सिविल एडवोकेट में क्या फर्क हैं ?
बहुत लोगों को ऐसा लगता हैं की लाॅयर और एडवोकेट एक ही हैं लेकिन ऐसा नहीं हैं लाॅयर और एडवोकेट में बहुत फर्क होता हैं। सिविल लाॅयर और सिविल एडवोकेट में बहुत फर्क है। सिविल लाॅयर वह होता हैं जो सिर्फ एलएलबी की डिग्री प्राप्त करता हैं और सिविल लाॅ में प्रेक्टिस करता हैं। सिविल लाॅयर सिर्फ लोगों को सलाह दे सकता हैं। सिविल लाॅयर कोर्ट में केस नहीं लढ़ सकता। सिविल एडवोकेट वह होते हैं जो एलएलबी की डिग्री लेने के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया की एग्जाम पास करके लाइसेंस प्राप्त करते हैं। सिविल एडवोकेट लोगों को सलाह देने के साथ साथ लोगों की केस कोर्ट में लढ़ भी सकते हैं।
सिविल लाॅयर या सिविल एडवोकेट कैसे बनें ?
- अगर आप सिविल एडवोकेट बनना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले 12th या ग्रेजुएशन में पास होना होगा। 12th या ग्रेजुएशन में 45% मार्क से पास होना एलएलबी कोर्स में एडमिशन लेने के लिए जरूरी है।
- 12th या ग्रेजुएशन में पास होने के बाद एलएलबी डिग्री लेने के लिए आपको सबसे पहले किसी लाॅ काॅलेज में एडमिशन लेना पड़ता हैं।
- अगर आप 12th के बाद एलएलबी के कोर्स के लिए एडमिशन लेना चाहते हैं तो आपको पांच साल का एलएलबी का कोर्स करना पड़ेगा और अगर आप ग्रेजुएशन के बाद एलएलबी के कोर्स के लिए एडमिशन लेना चाहते हैं तो आपको तीन साल का एलएलबी का कोर्स करना पड़ेगा।
- अब लाॅ काॅलेज में एडमिशन लेने के लिए कुछ युनिवर्सिटी में एंट्रेंस एग्जाम देनी पड़ती हैं। आपको सबसे पहले यह देखना पड़ेगा की आप जिस लाॅ काॅलेज में एडमिशन लेना चाहते हैं उस काॅलेज में एडमिशन लेने के लिए एंट्रेंस एग्जाम देनी पड़ती हैं की नहीं। यह आपको आपके बोर्ड एग्जाम के एक साल पहले ही देखना पड़ेगा। क्योंकी एंट्रेंस एग्जाम के फाॅर्म आपकी बोर्ड एग्जाम होते ही जल्दी भी निकल जाते हैं।
- अगर आप जिस लाॅ काॅलेज में एडमिशन लेना चाहते हैं उधर एडमिशन लेने के लिए एंट्रेंस एग्जाम कंपल्सरी हैं तो आपको एंट्रेंस एग्जाम का फाॅर्म भरकर अच्छे मार्क से एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करनी हैं।
- एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करने के बाद आप जिस लाॅ काॅलेज में एडमिशन लेना चाहते हैं उस लाॅ काॅलेज में एडमिशन लेना हैं। एडमिशन लेते समय आपको लाॅ काॅलेज की फी और दस्तावेज जमा करने होंगे।
- जनहित याचिका पूरी जानकारी
- लाॅ काॅलेज में एडमिशन होने के बाद आपको अच्छी तरह से सभी लाॅ के विषयों की पढ़ाई करनी हैं। आप सिविल लाॅयर बनना चाहते हैं इसलिए आपको सिविल लाॅ इस विषय पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना हैं। आपको सिविल लाॅ की अच्छी पढ़ाई करनी हैं और एलएलबी की डिग्री प्राप्त करनी हैं।
- अगर आप एक अच्छे सिविल एडवोकेट बनना चाहते हैं तो एलएलबी कोर्स के दुसरे या तिसरे साल से ही किसी अच्छे सिविल एडवोकेट के पास प्रॅक्टीस शुरू करें। इससे आपको बहुत अनुभव मिलेगा और आप सभी काम बहुत ही जल्दी सिख जाएंगे।
- एलएलबी की डिग्री के बाद आपको बार काउंसिल ऑफ इंडिया की एग्जाम देनी पड़ती हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के एग्जाम में क्लियर होने के बाद आपको लाइसेंस मिल जाता हैं। लाइसेंस मिलने के बाद आप कोर्ट में केस लड़ सकते हैं। एलएलबी डिग्री लेने के बाद भी एक दो साल किसी अच्छे सिविल एडवोकेट के पास प्रॅक्टीस करना जरूरी हैं। इस तरह से आप सिविल एडवोकेट बन सकते हैं।
FAQ
सिविल लाॅ क्या हैं ?
सिविल लाॅ गैर अपराधिक मामलों से संबंधित होता हैं। यह ज्यादा से ज्यादा संपत्ति, वैवाहिक, कौटुंबिक और व्यावसायिक मामलों से संबंधित होता हैं। सिविल लाॅ को हिंदी में दिवानी कानून कहा जाता हैं।
सिविल लाॅयर या सिविल एडवोकेट कौन है ?
सिविल लाॅ में संपत्ति का कानून, वैवाहिक और कौटुंबिक कानून, व्यावसायिक कानून, टाॅर्ट लाॅ, काॅर्पोरेट लाॅ, एडमिनिस्ट्रेटिव लाॅ, काॅनस्टिट्युशनल लाॅ यह सब कानून आते हैं। जो वकील इस तरह के मामलों में सलाह देते हैं और केस लड़ते हैं उन्हें सिविल लाॅयर या सिविल एडवोकेट कहा जाता हैं।
सिविल लाॅ के अंतर्गत कौन कौनसे मामले आते हैं ?
सिविल लाॅ के अंतर्गत ज्यादा से ज्यादा संपत्ति, वैवाहिक, कौटुंबिक और व्यावसायिक मामले आते हैं।
क्या लाॅ काॅलेज में एडमिशन लेने के लिए एंट्रेंस एग्जाम देना जरूरी है ?
हां। कुछ लाॅ काॅलेज में एडमिशन लेने के लिए एंट्रेंस एग्जाम देना जरूरी है।
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