भारतीय दंड संहिता की धारा 103 क्या हैं ? IPC Section 103 In Hindi

IPC Section 103 In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम आपको भारतीय दंड संहिता की धारा 103 के बारे में जानकारी देने वाले हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 103 में कब संपत्ती के प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारीत करने तक होता हैं इसके बारे में जानकारी दी हैं। इस पोस्ट में हमने आपको इसी के बारे में जानकारी दी हैं।

IPC Section 103 In Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 103 क्या हैं ? IPC Section 103 In Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 103 क्या हैं ?-

भारतीय दंड संहिता की धारा 103 में कब संपत्ती के प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का विस्तार मृत्यु कारीत करने तक होता हैं इसके बारे में जानकारी दी हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 103 के अनुसार संपत्ती के प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार का विस्तार भारतीय दंड संहिता की धारा 99 में वर्णित किए गए निर्बंधों के अधीन दोषकर्ता की मृत्यु या फिर अन्य अपहानी स्वेच्छ्या कारीत करने तक का हैं।

अगर वह अपराध जो किए जाने प्रयास या फिर वह अपराध किए जाने के वजह से उस अधिकार का उपयोग करने का अवसर आता हैं , एतस्मिन पश्चात प्रगणित भांतियों में से किसी भी भांति का हैं , मतलब –

1) लूट

2) रात के समय गृह भेदन

3) आग के द्वारा रिष्टी , जो किसी भी ऐसे निर्माण , तंबु या फिर जलयान को की गई है , जो लोगों के आवास के रूप में या संपत्ती के अभिरक्षा के स्थान के रूप में इस्तेमाल की जा सकती हैं।

4) गृह अतिचार, रिष्टी या फिर चोरी जो इस तरह के परिस्थितियों में किया गया है, जिनसे युक्तियुक्त रूप से यह आशंका कारीत हो जाती हैं की अगर प्राइवेट प्रतिरक्षा के ऐसे अधिकार का इस्तेमाल नहीं किया गया तो परिणाम घोर उपहती या मृत्यु होगा।

इस पोस्ट में हमने आपको भारतीय दंड संहिता की धारा 103 के बारे में जानकारी दी हैं। हमारी यह पोस्ट शेयर जरुर किजिए। धन्यवाद !

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