भारतीय दंड संहिता की धारा 2 क्या हैं ? IPC Section 2 In Hindi

IPC Section 2 In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम आपको भारतीय दंड संहिता की धारा 2 के बारे में जानकारी देने वाले हैं । अगर कोई व्यक्ति भारत के किसी भी क्षेत्र में अपराध करता हैं तो उसे अपराधी घोषित किया जाएगा और उसे भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत सजा और दंड या दोनों दिए जाएंगे । भारतीय दंड संहिता के धारा 2 की विस्तार में जानकारी हम इस पोस्ट में देने वाले हैं ।

IPC Section 2 In Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 2 क्या हैं ? IPC Section 2 In Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 2 क्या हैं ? –

भारतीय दंड संहिता के धारा 2 अंतर्गत यह कहा गया हैं की अगर‌ किसी भारतीय व्यक्ती ने भारत के किसी क्षेत्र में कोई अपराध किया तो उसके उपर भारतीय दंड संहिता की धारा लग जाएगी । और उसके उपर कोर्ट में ट्रायल चलाया जाएगा । कोई व्यक्ति अपराधी हैं यां नहीं यह न्यायालय द्वारा निश्चित किया जाएगा ।

अगर‌ वह व्यक्ती दोषी सिद्ध हो गया तो उसको उसके अपराध की सजा या दंड या दोनों न्यायालय देगी । भारतीय दंड संहिता की धारा 2 अंतर्क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार से संबंधित है । अगर कोई व्यक्ति भारत में कोई अपराध करता हैं तो उसे भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अपराधी सिद्ध किया जाएगा । कोई भी व्यक्ती किसी भी जाति , धर्म , लिंग का हो अगर उसने कोई अपराध किया हैं तो उसे भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत घोषी सिद्ध किया जाएगा ।

भारतीय दंड संहिता अंतर्गत अपवाद –

1) दुर्घटना –

अगर कोई व्यक्ती कोई कार्य कर रहा हैं और उससे कोई दुर्घटना हो जाती है और उस व्यक्ती का कोई भी अपराधिक इरादा नहीं है और उसने कार्य सावधानी से किया हैं , ऐसी स्थिति में जो दुर्घटना हो जाती हैं उसे भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अपराध नहीं माना जाता ।

2) बचपन –

अगर किसी बच्चे की उम्र 7 साल से कम हैं और उससे कोई गलती या अपराध हो जाता हैं तो उसे भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अपराध नहीं माना जाता ।

3) पागलपन –

अगर किसी व्यक्ती का मानसिक संतुलन ठीक नहीं हैं तो उसके द्वारा जो कार्य किया जाता है उसे अपराध नहीं माना जाता ।

4) नशा –

अगर किसी व्यक्ती को उसके इच्छा के विरुद्ध जाकर नशा कराया गया और नशे में उस व्यक्ती ने कुछ गलत कार्य किया तो उसे अपराध नहीं माना जाता ‌। उदा. अजय और विजय यह एक पार्टी में गए थे । पार्टी में विजय ने अजय को जबरदस्ती शराब पिलाई और गाड़ी पर घर लौटते वक्त अजय के हाथ से दूर्घटना हो गई । ऐसी स्थिति में अजय को अपराधी नहीं माना जाएगा । क्योंकी विजय ने अजय को जबरदस्ती शराब पिलाई थी ।

5) स्व संरक्षण –

स्वसंरक्षण के लिए किए गए कार्य को अपराध नहीं माना जाता । अगर कोई व्यक्ति खुद के बचाव के लिए कोई कार्य करता हैं तो उसे भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत अपराध नहीं माना जाता ‌। उदा. शीतल यह सुयोग की लड़की हैं ‌। एक बार किसी व्यक्ती ने शीतल पर हमला करने की कोशिश की । उस वक्त सुयोग ने शीतल को बचाने के लिए उस व्यक्ती के सिर पर लकड़ी मारी ‌। इस स्थिती में सुयोग को अपराधी नहीं माना जाएगा । क्योंकी उसने अपने लड़की को बचाने के लिए ऐसा किया हैं ।

इस पोस्ट में हमने आपको भारतीय दंड संहिता की धारा 2 के बारे में जानकारी दी हैं ‌। हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजिए । धन्यवाद !

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