IPC Section 35 In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम आपको भारतीय दंड संहिता के धारा 35 के बारे में जानकारी देने वाले हैं । भारतीय दंड संहिता के धारा 35 में आपराधिक कार्य के बारे में जानकारी देने वाले हैं । इसी के बारे में हम आपको इस पोस्ट में विस्तार में बताने वाले हैं ।

भारतीय दंड संहिता की धारा 35 क्या हैं ? IPC Section 35 In Hindi
भारतीय दंड संहिता की धारा 35 क्या हैं ? –
भारतीय दंड संहिता के धारा 35 के अनुसार जब कोई भी कार्य अपराधिक ज्ञान या अपराधिक इरादे से किया जाता हैं तो वह अपराधिक हैं । हर व्यक्ती जो इस तरह के अपराधिक कार्य करने के लिए मिले हुए होते हैं वह इस धारा अंतर्गत इस तरह से दोषी माने जाते हैं की उन्होंने वह कार्य अकेले ने किया हो ।
अब हम आपको इस धारा को आसान भाषा में सिखाते हैं । कोई भी कार्य जब अपराधिक इरादे से किया जाता है तभी उसको अपराधिक कार्य बोला जाता हैं । अगर कोई अपराधिक कार्य चार लोग मिलकर करते हैं तो हर व्यक्ती को इस तरह से ऐसे दोषी माना जाएगा की वह कार्य उस एक व्यक्ती ने ही किया है ।
उदा . अजय इस व्यक्ती ने विजय को मजाक में मारा तो इसे अपराध नहीं माना जाएगा क्योंकी अजय ने विजय को मजाक में मारा हैं । इसमें अजय का कोई भी अपराधिक इरादा नहीं हैं । लेकिन अगर अजय विजय को उसकी हत्या करने के उद्देश्य से मारता हैं तो इसमें अजय का अपराधिक इरादा हैं । ऐसी स्थिति में अजय को भारतीय दंड संहिता के धारा 35 के अंतर्गत दोषी माना जाएगा ।
इस पोस्ट में हमने आपको भारतीय दंड संहिता के धारा 35 के बारे में जानकारी दी हैं । हमारी यह पोस्ट शेयर जरुर किजिए । धन्यवाद !