रीट पूरी जानकारी Reit Information In Hindi

हॅलो ! इस पोस्ट में हम आपको रीट क्या हैं और रीट के कौन कौन से प्रकार हैं इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं। रीट यह एक आदेश होता हैं जो न्यायालय द्वारा जारी किया जाता हैं। भारतीय संविधान ने न्यायालय को कुछ अधिकार दिए हैं। न्यायालय उन अधिकारों का इस्तेमाल करके रीट जारी कर सकता हैं। मतलब किसी अधिकारी को या किसी व्यक्ती को कोई कार्य करने के लिए या न करने के लिए आदेश दे सकता हैं।

Reit Information In Hindi

रीट पूरी जानकारी Reit Information In Hindi

रीट के पांच प्रकार होते हैं। जैसे की बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus), परमादेश (Mandamus), उत्प्रेषण(Certiorari), निषेधाज्ञा (Prohibition), अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) आदी। रीट क्या हैं और रीट के कौन कौन से प्रकार हैं इसके बारे में विस्तार में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी पोस्ट अंत तक जरुर पढिए।

रीट क्या हैं ?

रीट यह एक आदेश होता हैं जो न्यायालय द्वारा जारी किया जाता हैं। भारतीय संविधान ने न्यायालय को कुछ अधिकार दिए हैं। न्यायालय उन अधिकारों का इस्तेमाल करके रीट जारी कर सकता हैं। मतलब किसी अधिकारी को या किसी व्यक्ती को कोई कार्य करने के लिए या न करने के लिए आदेश दे सकता हैं। रीट के पांच प्रकार होते हैं। जैसे की बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus), परमादेश (Mandamus), उत्प्रेषण(Certiorari), निषेधाज्ञा (Prohibition), अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) आदी।

रीट के प्रकार

1) बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) –

बंदी प्रत्यक्षीकरण को अंग्रेजी में Habeas Corpus कहां जाता हैं। बंदी प्रत्यक्षीकरण का अर्थ होता हैं की किसी व्यक्ती के शरीर को न्यायालय के सामने पेश करना। जब किसी व्यक्ती को गिरफ्तारी किया जाता हैं तब न्यायालय के द्वारा उस व्यक्ती को अदालत के सामने पेश करने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण का आदेश दिया जाता हैं। अगर न्यायालय को ऐसा लगता हैं की व्यक्ती को गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया हैं तो न्यायालय उस व्यक्ती को छोड़ने का आदेश दे सकती हैं।

2) परमादेश (Mandamus)-

परमादेश को अंग्रेजी में Mandamus कहां जाता हैं। परमादेश का अर्थ यह हैं की हमारा आदेश हैं। इस रीट के द्वारा न्यायालय किसी व्यक्ती को या अधिकारी को या किसी लोगों के समुह को आदेश देता हैं। अगर कोई व्यक्ती, कोई अधिकारी या लोगों का समुह अपना काम ढंग से नहीं कर रहा हो तो न्यायालय उनको परमादेश जारी कर सकता हैं। न्यायालय उनके कार्य की पुछताछ करता हैं और कार्य सही ढंग से करने का आदेश देता हैं।

3) उत्प्रेषण (Certiorari)-

उत्प्रेषण को अंग्रेजी में Certiorari कहां जाता हैं। उत्प्रेषण का अर्थ हैं‌ प्रमाणित करना और सूचना देना। जब कोई हाईकोर्ट या लोअर कोर्ट कोई निर्णय देता हैं और वह निर्णय गलत होता हैं या कोर्ट के अधिकारक्षेत्र के बाहर होता हैं तो ऐसा निर्णय रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट उत्प्रेषण का रीट जारी करता हैं। पहले यह रीट सिर्फ न्यायिक प्राधिकारणों के लिए जारी किया जाता था लेकिन 1991 में सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया की यह रीट प्रशासनिक प्राधिकरणों के खिलाफ भी जारी किया जा सकता है।

4) निशेधाज्ञा या प्रतिषेद (Prohibition)-

निशेधाज्ञा या प्रतिषेद को अंग्रेजी में Prohibition कहां जाता है। प्रतिषेद का अर्थ हैं रोकना। इसे स्टे ऑर्डर इस नाम से भी जाना जाता है। अगर लोअर कोर्ट के द्वारा कोई निर्णय देते समय उल्लंघन हो रहा हैं तो हाईकोर्ट उसे प्रतिषेद रीट जारी करके रोक सकता हैं। इसे प्रतिषेद कहां जाता हैं। इस रीट को सिर्फ न्यायिक या अर्ध-न्यायिक प्राधिकरणों के खिलाफ ही जारी किया जा सकता हैं। यह रीट किसी भी व्यक्ती या प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ नहीं जारी किया जाता।

5) अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)-

आधिकार पृच्छा को अंग्रेजी में Quo Warranto कहां जाता है। अधिकार पृच्छा इस शब्द का अर्थ हैं किस वारंट द्वारा। अगर न्यायालय को ऐसा लगता हैं की किसी व्यक्ती की नियुक्ति ऐसे पद के लिए की गई है जिसके लिए वह हकदार नहीं हैं तो उस वक्त न्यायालय अधिकार पृच्छा इस रीट को जारी करता हैं‌। न्यायालय इस रीट को जारी करके उस व्यक्ती को उस पद पर कार्य करने से रोक देता हैं। यह रीट संविधान द्वारा निर्मित किए गए कार्यालयों में जारी किया जा सकता हैं। जैसे की विधानसभा के अध्यक्ष, एडवोकेट जनरल, स्थानीय सरकारी बोर्ड के सदस्य, नगर निगम अधिनियम के तहत आने वाले अधिकारी आदी।

FAQ

रीट के कौन कौनसे प्रकार हैं ?

रीट के पांच प्रकार होते हैं। जैसे की बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus), परमादेश (Mandamus), उत्प्रेषण(Certiorari), निषेधाज्ञा (Prohibition), अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) आदी।

रीट क्या हैं ?

रीट यह एक आदेश होता हैं जो न्यायालय द्वारा जारी किया जाता हैं। भारतीय संविधान ने न्यायालय को कुछ अधिकार दिए हैं। न्यायालय उन अधिकारों का इस्तेमाल करके रीट जारी कर सकता हैं। मतलब किसी अधिकारी को या किसी व्यक्ती को कोई कार्य करने के लिए या न करने के लिए आदेश दे सकता हैं।

परमादेश (Mandamus) क्या हैं ?

परमादेश का अर्थ यह हैं की हमारा आदेश हैं। इस रीट के द्वारा न्यायालय किसी व्यक्ती को या अधिकारी को या किसी लोगों के समुह को आदेश देता हैं। अगर कोई व्यक्ती, कोई अधिकारी या लोगों का समुह अपना काम ढंग से नहीं कर रहा हो तो न्यायालय उनको परमादेश जारी कर सकता हैं। न्यायालय उनके कार्य की पुछताछ करता हैं और कार्य सही ढंग से करने का आदेश देता हैं।

अधिकार पृच्छा (Quo-warranto) क्या हैं ?

अधिकार पृच्छा इस शब्द का अर्थ हैं किस वारंट द्वारा। अगर न्यायालय को ऐसा लगता हैं की किसी व्यक्ती की नियुक्ति ऐसे पद के लिए की गई है जिसके लिए वह हकदार नहीं हैं तो उस वक्त न्यायालय अधिकार पृच्छा इस रीट को जारी करता हैं‌।

उत्प्रेषण (Certiorari) क्या हैं ?

उत्प्रेषण का अर्थ हैं‌ प्रमाणित करना और सूचना देना। जब कोई हाईकोर्ट या लोअर कोर्ट कोई निर्णय देता हैं और वह निर्णय गलत होता हैं या कोर्ट के अधिकारक्षेत्र के बाहर होता हैं तो ऐसा निर्णय रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट उत्प्रेषण का रीट जारी करता हैं।

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