हॅलो ! इस पोस्ट में हम आपको कोर्ट से स्टे ऑर्डर कैसे लेते हैं इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं। आप सभी ने कभी ना कभी स्टे ऑर्डर के बारे में सुना होगा लेकिन कोर्ट से स्टे ऑर्डर कैसे लेते हैं इसके बारे में आपको पता नहीं होगा। इसलिए इस पोस्ट में हम आपको कोर्ट से स्टे ऑर्डर कैसे लेते हैं इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं।

स्टे ऑर्डर की पूरी जानकारी Stay Order Information In Hindi
स्टे ऑर्डर यह एक न्यायालय ने दिया हुआ आदेश होता हैं। जो न्यायालय ने पहले जारी किया हुआ आदेश होता हैं या कोई भी विवादित मामला या कोई भी कानूनी कार्यवाही को रोकने के लिए स्टे ऑर्डर का उपयोग किया जाता है। अगर किसी मामले में स्टे लग जाता हैं तो उस मामले से संबंधित कोई भी कार्य बंद रखा जाता हैं। जब तक उस मामले की जांच पड़ताल पुरी नहीं हो जाती तब तक स्टे ऑर्डर को लागू रखा जाता हैं। स्टे ऑर्डर कैसे लेते हैं इसके बारे में विस्तार में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी यह पोस्ट अंत तक जरुर पढ़िए।
स्टे ऑर्डर कैसे लेते हैं ?
- अगर आप स्टे ऑर्डर लेना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले किसी अच्छे वकील से कानूनी सलाह लेनी चाहिए। आपको वकील को मामले की पुरी जानकारी बतानी हैं और स्टे लेने के लिए कहना हैं।
- इसके बाद आपको सभी दस्तावेज इकट्ठा करने हैं जैसे की मुल शिकायत की फोटोकाॅपी, सारे सबूत और कोर्ट के आदेश और अन्य कोई आवश्यक दस्तावेज आदी।
- इसके बाद आपके वकील स्टे ऑर्डर के लिए याचिका तैयार करेंगे। इसके बाद याचिका को निर्धारित शुल्क के साथ कोर्ट में जमा करें।
- इसके बाद आपके विरोधी पक्ष को नोटीस, आपके द्वारा दायर किए हुए याचिका की प्रती और अन्य आवश्यक दस्तावेजों की प्रती भेजी जाएगी।
- इसके बाद अदालत में आपके सुनवाई की तारीख निर्धारित की जाएगी।
- अदालत द्वारा निर्धारित की हुई तारीख को आपको आपके वकील के साथ अदालत में जाना होगा। अदालत में आपके मामले से संबंधित सभी आवश्यक जानकारी और दस्तावेज न्यायाधीश के सामने दिए जाएंगे और इसके बाद वकील द्वारा स्टे ऑर्डर के मामले में बहस की जाएगी।
- इसके बाद अदालत आपके मामले पर सोच विचार करेगी और सभी सबुत देखेगी और इसके बाद अगर अदालत को सही लगा तो स्टे का आदेश दे सकती हैं।
- इसके बाद दोनों भी पक्षों को स्टे ऑर्डर के नियमों का पालन करना आवश्यक होता हैं। अगर कोई पक्ष इन नियमों का पालन नहीं करता या उस संपत्ति के साथ छेड़छाड़ करता है तो आपको इसकी जानकारी आपके वकील को देनी जरूरी हैं।
स्टे ऑर्डर के बाद क्या होता हैं ?
- स्टे ऑर्डर मिलने के बाद जिस संपत्ति पर या कार्यवाही पर स्टे ऑर्डर मिला हैं उसका कामकाज रोका जाएगा। यह कामकाज तब तक के लिए रोका जाएगा जब तक कोर्ट पुरी जांच पडताल करके अंतिम निर्णय नहीं ले लेती।
- इसके बाद जिसको स्टे का आदेश मिला हैं उसे स्टे के सभी नियम और शर्तों का पालन करना होगा। अगर कोई स्टे के नियम और शर्तों का उल्लंघन करता हैं तो उसके उपर कानूनी कार्यवाही हो सकती हैं।
- स्टे लगाने के बाद भी कोर्ट में सुनवाई होती हैं और कोर्ट सही निर्णय सुनाती हैं।
स्टे ऑर्डर कितने समय का होता हैं ?
- स्टे ऑर्डर का समय केस कितनी विवादित हैं इसपर निर्भर होता हैं। अगर आपकी केस ज्यादा विवादित हैं तो स्टे ज्यादा समय का भी हो सकता है।
- न्यायालय का प्रकार कौनसा हैं इसपर भी स्टे का समय निर्भर होता हैं।
- कोर्ट स्टे के समय को अपने विवेक शक्ति का उपयोग करके कम भी कर सकती हैं या ज्यादा भी कर सकती हैं या खत्म भी कर सकती हैं।
स्टे ऑर्डर न मानने पर क्या होता हैं ?
अगर कोई व्यक्ति स्टे ऑर्डर का उल्लंघन करता हैं तो उसे गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ सकता हैं। अब जानते हैं स्टे ऑर्डर न मानने पर क्या क्या परिणाम हो सकते हैं –
- कोर्ट की अवमानना-
कोर्ट का आदेश न मानना यह कोर्ट की अवमानना होती हैं। इसका अर्थ ऐसा होता है की कोर्ट का अपमान करना। इसका बहुत ही बुरा परिणाम आपके केस पर भी पड़ सकता है। कोर्ट की अवमानना करना यह एक दंडनीय अपराध हैं।
- जुर्माना –
जब कोई व्यक्ति कोर्ट के किसी आदेश का पालन नहीं करता हैं तब उसपर जुर्माना लगवाया जाता हैं। अगर कोर्ट ने स्टे का आदेश दिया है और कोई व्यक्ति इसका पालन नहीं करता है तो कोर्ट उसपर जुर्माना लगवा सकती हैं।
- कानूनी परिणाम-
कोर्ट के आदेशों का पालन न करने से हमारे मामले पर बुरा प्रभाव पड़ता हैं। ऐसा करने से कोर्ट का आपके उपर से विश्वास कम हो जाता हैं। इस तरह के परिस्थिती में कोर्ट ऐसे मामलों को नकारात्मक रुप से देखती हैं।
- आपराधिक कार्यवाही –
अगर आप कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करते तो कभी कभी आपके खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज किया जाता हैं। आप गिरफ्तार भी हो सकते हैं और आपके उपर मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है।
FAQ
स्टे ऑर्डर क्या हैं ?
स्टे ऑर्डर यह एक न्यायालय ने दिया हुआ आदेश होता हैं। जो न्यायालय ने पहले जारी किया हुआ आदेश होता हैं या कोई भी विवादित मामला या कोई भी कानूनी कार्यवाही को रोकने के लिए स्टे ऑर्डर का उपयोग किया जाता है।
स्टे ऑर्डर कैसे लेते हैं ?
अगर आप स्टे ऑर्डर लेना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले किसी अच्छे वकील से कानूनी सलाह लेनी चाहिए। आपको वकील को मामले की पुरी जानकारी बतानी हैं और स्टे लेने के लिए कहना हैं। इसके बाद आपके वकील स्टे ऑर्डर के लिए याचिका तैयार करेंगे। इसके बाद याचिका को निर्धारित शुल्क के साथ कोर्ट में जमा करेंगे। इसके बाद सामने वाले पार्टी को नोटीस भेजकर मुकादमे होंगे। इसके बाद कोर्ट पुरी जांच पड़ताल करके उनको अगर सही लगता है तो स्टे ऑर्डर दे सकते हैं।
स्टे ऑर्डर कितने समय का होता हैं ?
स्टे ऑर्डर का समय केस कितनी विवादित हैं इसपर निर्भर होता हैं। अगर आपकी केस ज्यादा विवादित हैं तो स्टे ज्यादा समय का भी हो सकता है।
न्यायालय का प्रकार कौनसा हैं इसपर भी स्टे का समय निर्भर होता हैं।
क्या स्टे ऑर्डर का पालन न करने से जुर्माना लग सकता हैं ?
हां। स्टे ऑर्डर का पालन न करने से जुर्माना लग सकता हैं।
क्या स्टे ऑर्डर का पालन न करने से मुकादमे पर बुरा असर पड़ता हैं ?
हां। स्टे ऑर्डर का पालन न करने से मुकादमे पर बुरा असर पड़ता हैं।