उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम क्या है? What Is Consumer Protection Act In Hindi

What Is Consumer Protection Act In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम आपको उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 (Consumer Protection Act 1986) क्या हैं, ग्राहक या उपभोक्ता ( Consumer) कौन हैं, वस्तु और सेवा क्या हैं, केस कैसे दर्ज करें, केस फाइल करने की समय सीमा, किस फोरम में केस दर्ज करें, कंज्यूमर एडवोकेट कैसे बनें इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं।

What Is Consumer Protection Act In Hindi

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम क्या है? What Is Consumer Protection Act In Hindi

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 ग्राहकों का संरक्षण करने के लिए बनाया गया है। यह अधिनियम 24 दिसंबर 1986 को लागू किया गया था। यह अधिनियम भारत देश में ग्राहकों का संरक्षण करता हैं। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के बारे में पुरी जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी पोस्ट अंत तक जरुर पढ़िए।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 (Consumer Protection Act 1986) क्या हैं ?-

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 ग्राहकों का संरक्षण करने के लिए बनाया गया है। यह अधिनियम 24 दिसंबर 1986 को लागू किया गया था। यह अधिनियम भारत देश में ग्राहकों का संरक्षण करता हैं। हर व्यक्ती ग्राहक होता हैं। हर व्यक्ती को कभी ना कभी वस्तु या सेवा खरीदनी पड़ती हैं। उस समय अगर ग्राहकों से ज्यादा किंमत ली जाए या वस्तु कम क्वॅलिटी की हो या अन्य कोई भी गलत बात ग्राहकों के साथ वस्तु या सेवा खरीदने पर हो तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के द्वारा उनको संरक्षण मिल जाता हैं।

ग्राहक या उपभोक्ता ( Consumer) कौन हैं ? –

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार अगर कोई व्यक्ती कोई वस्तु या सेवा खरीदता हैं तब उसे ग्राहक या उपभोक्ता कहा जाता हैं। अगर कोई ग्राहक कोई वस्तु या सेवा खरीदता हैं और उसे वह वस्तु खरीदते समय जो वस्तु खरीदते समय जो किंमत उसपर छपी हैं उससे ज्यादा किंमत ली जाए, या जो जानकारी देकर वह वस्तु बिकी जाती हैं वह सच नहीं हो तो ग्राहकों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के द्वारा संरक्षण मिल जाता हैं।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत सेवा या वस्तु क्या हैं ? –

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अनुसार जब कोई व्यक्ती कोई वस्तु या सेवा खरीदता हैं तो उसे सेवा या वस्तु कहा जाएगा। अगर हम किसी दुकान में जाकर गाड़ी या साइकल पैसे देकर खरीदते हैं या किसी पार्लर में जाकर हेयर कट करते हैं, फेशियल करते हैं, टेलिफोन की सेवा, प्लेन का सफर, हाॅस्पिटल में ट्रिटमेंट इस तरह की वस्तु या सेवाएं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत आती हैं।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत शिकायत कैसे दर्ज करें ? –

अगर आपने कोई वस्तु या सेवा खरीदी हैं और आपके साथ कुछ गलत हुआ हो जैसे की वस्तु या सेवा का मुल्य ज्यादा लिया हो या जो जानकारी देकर वह वस्तु बिकी जाती हैं वह सच नहीं हो तो आप इस अधिनियम के अंतर्गत शिकायत दर्ज कर सकते हैं। अगर आपको शिकायत दर्ज करनी हैं तो आप उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 12 के अंतर्गत केस दर्ज कर सकते हैं।

आप किसी वकील के मदद से या आप खुद जाकर डिस्ट्रिक्ट, स्टेट या नॅशनल कंज्यूमर फोरम में जाकर शिकायत दर्ज कर सकते हैं।

शिकायत इस प्रकार लिखी जाती हैं –

  • एक कागज पर शिकायतकर्ता और विरुद्ध पार्टी का नाम और पता
  • शिकायत से संबंधित सारे तथ्य
  • शिकायत और आरोपों से संबंधित कुछ दस्तावेज
  • शिकायतकर्ता द्वारा जो राहत मांगी जाएगी उसका उल्लेख
  • शिकायतकर्ता के हस्ताक्षर
  • एक एफिडेविट जिसमें यह लिखा हुआ होना चाहिए की जो तथ्य लिखे हुए हैं वह सभी सच हैं।
  • आपके राज्य के अनुसार न्यायालय के शुल्क

कंज्यूमर कोर्ट में केस फाइल करने की समय सीमा –

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 24A के अंतर्गत आप कंज्यूमर कोर्ट में केस दो साल के अंदर केस दर्ज कर सकते हैं। अगर दो साल में आपने केस नहीं दर्ज की फिर भी दो साल के बाद आप केस दर्ज कर सकते हैं। ऐसे परिस्थिती में केस फाइल करने के लिए देरी के कारण देकर केस फाइल कर सकते हैं।

कौनसे कनज्युमर कोर्ट या फोरम में केस दर्ज करनी चाहिए ? –

  • आप जिस मुल्य या नुकसान के लिए केस दर्ज कर रहे हैं वह अगर 20 लाख रुपए से कम हो तो आप डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम में केस दर्ज कर सकते हैं।
  • अगर आप जिस मुल्य या नुकसान के लिए केस दर्ज करना चाहते हैं वह अगर 20 लाख रुपए से ज्यादा और 1 करोड़ रुपए से कम हो तो आप स्टेट कंज्यूमर फोरम में केस दर्ज कर सकते हैं।
  • आप जिस मुल्य या नुकसान के लिए केस दर्ज करना चाहते हैं वह अगर 1 करोड़ रुपए से ज्यादा हैं तो आप नॅशनल कंज्यूमर फोरम में केस दर्ज कर सकते हैं।

ग्राहक या उपभोक्ता वकील (Consumer Advocate) कैसे बनें ? –

  • अगर आप ग्राहक या उपभोक्ता वकील बनना चाहते हैं तो आपको 12 th या ग्रेजुएशन पुरा करना होगा। आप 12 th या ग्रेजुएशन किसी भी स्ट्रिम से ( science , commerce, arts में से कोई भी स्ट्रिम) पुरा कर सकते हैं। इसके बाद आप LLB के लिए एडमिशन ले सकते हैं।
  • LLB के लिए एडमिशन लेने के लिए कुछ युनिवर्सिटी में एंट्रेंस एग्जाम देनी पड़ती हैं तो कुछ युनिवर्सिटी में डाइरेक्ट 12 th या ग्रेजुएशन के मार्क्स पर एडमिशन दिया जाता हैं।
  • अगर आप 12 th के बाद एडमिशन लेते हैं तो आपको पांच साल का LLB का कोर्स करना पड़ता हैं। अगर आप ग्रेजुएशन के बाद LLB के लिए एडमिशन लेते हैं तो आपको 3 साल का LLB का कोर्स करना पड़ता है।
  • आप कंज्यूमर लाॅयर बनना चाहते हैं तो आपको कंज्यूमर लाॅ इस विषय की अच्छे से पढ़ाई करनी होगी।
  • आपका कोर्स पूरा होने के बाद आपको AIBE की एग्जाम देनी होती हैं। इस एग्जाम में पास होने के बाद आप एडवोकेट बन जाते हैं। इसके बाद आप कोर्ट में केस लड़ सकते हैं।
  • अगर आप LLB कोर्स के दुसरे या तिसरे साल से ही किसी अच्छे कंज्यूमर लाॅयर के साथ प्रेक्टिस करते हैं तो आप बहुत ही जल्दी अच्छे क्रिमिनल लाॅयर बन सकते हैं।

इस पोस्ट में हमने आपको उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 (Consumer Protection Act 1986) क्या हैं इसके बारे में जानकारी दी हैं। हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजिए। धन्यवाद !

FAQ:

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम क्या है?

1986 में लागू उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम उपभोक्ताओं की शिकायतों पर आसान और त्वरित मुआवजा देता है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 34 क्या है?

एक उपभोक्ता जिला आयोग में उस स्थानीय सीमा के भीतर शिकायत दर्ज कर सकता है जिसके अधिकार क्षेत्र में वह रहता है या व्यक्तिगत रूप से लाभ के लिए काम करता है।

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