What is domestic violence against women? हॅलो ! इस पोस्ट में हम आपको महिलाएं घरेलू हिंसा (Domestic Violence) की कोर्ट में केस कैसे करें और महिलाएं घरेलू हिंसा की केस कैसे जीते इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं। अब घरेलू हिंसा के मामले बहुत बढ़ रहे हैं। महिलाओं को घर में मारपीट, रोक-टोक, अपशब्द ऐसे समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैं। महिलाओं पर मौखिक, यौन, शारीरिक, आर्थिक अत्याचार हो सकते हैं। महिलाओं पर घर के लोगों के द्वारा ही ज्यादा से ज्यादा अत्याचार किए जाते हैं जैसे की, जेठानी, जेठ, देवर, देवरानी, सास, ससुर, ननंद आदी।
महिलाएं घरेलू हिंसा क्या हैं ? What is domestic violence against women?
महिलाएं उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकती हैं। घरेलू हिंसा अधिनियम को 26 अक्टूबर 2006 को लागू किया गया था। इस अधिनियम का उद्देश्य घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण करना यह हैं। अगर किसी महिला के साथ घरेलू हिंसा हो रही हैं तो वह महिला कोर्ट में केस दर्ज कर सकती हैं। घरेलू हिंसा की केस कोर्ट में कैसे करें और महिलाएं घरेलू हिंसा की केस कैसे जीते इसके बारे में विस्तार में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी पोस्ट अंत तक जरुर पढिए।
महिलाएं घरेलू हिंसा (Domestic Violence) की केस कोर्ट में कैसे करें ?-
- अगर आपके साथ घरेलू हिंसा हो रही हैं और आप कोर्ट में केस दर्ज करना चाहती हैं तो आपको सबसे पहले एक वकील से संपर्क करना हैं।
- वकील की सलाह लेकर आपको केस करने के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज और सबुत इकट्ठा करने हैं।
- इसके बाद आप जिले के मॅजिस्ट्रेट के पास जाकर घरेलू हिंसा की केस दर्ज कर सकते हैं।
कोर्ट में घरेलू हिंसा की केस करने के लिए आवश्यक चीजें –
- अगर आप कोर्ट में घरेलू हिंसा की केस दर्ज करना चाहते हैं तो आपको आपकी शिकायत स्पष्ट रुप से लिखनी हैं।
- जब आप धारा 12 के तहत केस दर्ज करेंगे तब घरेलू हिंसा से संबंधित अन्य धाराओं का भी इस्तेमाल करें।
- अगर आपको पती से खर्चा मांगना हैं तो आप पती के वेतन की स्लीप, पासबुक यह सब कोर्ट को दिखा सकते हैं।
- अगर आपके साथ मारपीट हुई हैं तो आप मेडिकल रिपोर्ट भी कोर्ट को दिखा सकते हैं।
- अगर आपने पहले कभी एफआईआर दर्ज की हैं तो आप वह भी कोर्ट को दिखा सकती हैं।
- शादी के फोटो या विडियो, शादी का खर्चा और शादी के खर्चे का बील।
- झगड़े या मारपीट के समय कोई व्यक्ती उपस्थित हो तो उसका आप गवाह के रुप में उपयोग कर सकते हैं।
- मारपीट या झगड़े की कोई ऑडियो या विडियो
- बच्चा हैं तो उसके खर्चे की लीस्ट मेंटनेंस के लिए
महिलाएं घरेलू हिंसा की केस कैसे जीते ?-
- महिलाएं घरेलू हिंसा का केस जीतना चाहती हैं तो किसी अच्छे वकील की मदद ले।
- अपनी कंप्लेंट स्पष्ट रुप से लिखे।
- आप कंप्लेंट में जो भी घटना लिखना चाहते हैं वह घटना कब हुई हैं उसका साल और तारीख लिखना भी आवश्यक हैं। वरना आपकी केस झुठी भी साबित हो सकती है।
- अगर महिला के साथ मारपीट हुई है और महिला ने मारपीट का वर्णन अपने कंप्लेंट में किया हैं तो मारपीट के मेडिकल रिपोर्ट भी कोर्ट के सामने पेश किजिए।
घरेलू हिंसा कानून के तहत महिलाओं के अधिकार –
घरेलू हिंसा का अधिनियम पुलिस, मॅजिस्ट्रेट, संरक्षण अधिकारी के द्वारा लगवाया जाता हैं। यह महिला को उसके अधिकार देने में सहाय्य करते हैं। घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत महिलाओं के कुछ अधिकार हैं वह अब हम आपको बताने वाले हैं।
- पिडित महिला इस कानून के तहत कुछ आदेशों की मांग कर सकती हैं जैसे की, मुआवजा आदेश, निवास आदेश, संरक्षण आदेश, बच्चों को अस्थाई संरक्षण, आर्थिक राहत आदी।
- अगर पिडित महिला को जरुरत पड़े तो वह आधिकारिक सेवा प्रदाताओं की मदद ले सकती है।
- जब पिडित महिला को जरुरत पड़े तब पिडित महिला संरक्षण अधिकारी से संपर्क कर सकती हैं।
- निशुल्क कानूनी सहायता के लिए भी पिडीत महिला मांग कर सकती हैं।
- पिडित महिला अगर चाहे तो भारतीय दंड संहिता के तहत क्रिमिनल याचिका भी दर्ज कर सकती हैं। इस के तहत प्रतिवादी को तीन साल तक की सजा मिल सकती है। लेकीन इसके लिए पिडित महिला को गंभीर शोषण सिद्ध करने की जरूरत हैं।
घरेलू हिंसा कानून के अलावा और कानूनों की सजा –
- दहेज हत्या किए जाने पर धारा 304A के तहत आजीवन कारावास
- किसी महिला का अपहरण करना, भगाना या महिला को शादी करने के लिए विवश करना धारा 366 के तहत 10 साल की सजा
- व्याभिचार के लिए धारा 497 के तहत 5 साल की सजा
- नाबालिग लडकी को कब्जे में रखना। इस अपराध के लिए धारा 366 के अंतर्गत 10 साल की सजा।
- महिला की शालीनता भंग करने के मंशा से जबरदस्ती या हिंसा करना। इस अपराध के लिए धारा 354 के तहत 1 से 5 साल तक की सजा।
- बलात्कार (सामुहिक बलात्कार या सरकारी कर्मचारी द्वारा बलात्कार)। इस अपराध के लिए धारा 376 के तहत 10 साल से उम्रकैद तक की सजा।
- पहली पत्नी जीवित हैं फिर भी दुसरी शादी करना। इस अपराध के लिए धारा 494 के तहत 7 साल की सजा।
- महिला की शालीनता को अपमानित करने की मंशा से अपशब्द बोलना या अश्लील हरकतें करना। इस अपराध के लिए धारा 509 के तहत 3 साल की सजा।
FAQ
घरेलू हिंसा अधिनियम को कब लागू किया गया ?
घरेलू हिंसा अधिनियम को 26 अक्टूबर 2006 को लागू किया गया था।
घरेलू हिंसा की केस में महिला कोर्ट से किन आदेशों की मांग कर सकती हैं ?
पिडित महिला इस कानून के तहत कुछ आदेशों की मांग कर सकती हैं जैसे की, मुआवजा आदेश, निवास आदेश, संरक्षण आदेश, बच्चों को अस्थाई संरक्षण, आर्थिक राहत आदी।
इस पोस्ट में हमने आपको महिलाएं घरेलू हिंसा (Domestic Violence) की कोर्ट में केस कैसे करें और महिलाएं घरेलू हिंसा की केस कैसे जीते इसके बारे में जानकारी दी हैं। हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजिए। धन्यवाद !