What Is Environmental law In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम आपको पर्यावरण कानून ( Environmental Law) क्या हैं, पर्यावरण कानून के बारे में विस्तार में जानकारी, पर्यावरण वकील कैसे बनें इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं। हमारे देश में पर्यावरण कानून बहुत महत्वपूर्ण हैं। प्रदुषण को नियंत्रित रखने के लिए पर्यावरण कानून की बहुत जरुरत होती हैं। पर्यावरण कानून में वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, ध्वनी प्रदुषण, वन्यजीव संरक्षण के बारे में सभी कानून दिए हुए हैं। पर्यावरण कानून के बारे में पुरी जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी पोस्ट अंत तक जरुर पढ़िए।
पर्यावरण कानून क्या हैं? What Is Environmental law In Hindi
पर्यावरण कानून (Environmental Law) क्या हैं?
पर्यावरण कानून यह महत्त्वपूर्ण कानून हैं। पर्यावरण कानून पर्यावरण में प्रदूषण नियंत्रित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हमारे देश में प्रदुषण यह बहुत ही बड़ी समस्या हैं। हमारे देश में जल प्रदूषण और वायू प्रदूषण बहुत बढ़ रहा हैं। बहुत जीवन के लिए खतरनाक पदार्थ जल और वायु में छोड़े जा रहे हैं। इसे नियंत्रित करने के लिए हमारे देश में कुछ कानून बनाए गए हैं। हमारे देश में पर्यावरण कानून में जल प्रदूषण अधिनियम 1974, वायु प्रदूषण अधिनियम 1981, ध्वनी प्रदूषण अधिनियम 2000 , पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 यह महत्त्वपूर्ण कानून हैं।
जल प्रदूषण (नियंत्रण और रोकथाम) अधिनियम 1974 –
जल प्रदूषण (नियंत्रण और रोकथाम) अधिनियम 1974 यह अधिनियम जल प्रदूषण रोकने के लिए और जल प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया है। जल प्रदूषण रोकना, जल प्रदूषण पर नियंत्रण रखना, जल प्रदूषण निवारण और नियंत्रण बोर्ड की स्थापना करना, जल प्रदूषण नियंत्रण और निवारण बोर्ड के अधिकार और कार्य के बारे में जानकारी, जल की अवस्था पहले जैसी करना यह जल प्रदूषण ( नियंत्रण और रोकथाम) अधिनियम 1974 के मुख्य उद्देश्य हैं।
वायु प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम 1981-
वायु प्रदूषण ( रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम 1981 वायु प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए और नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया है। यह अधिनियम पुरे भारत में लागू हैं। इस अधिनियम में वायु प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए और नियंत्रण रखने के लिए केंद्रीय वायु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य वायु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड स्थापित करने के बारे में जानकारी दी गई है और उनके कार्य और अधिकार के बारे में उल्लेख किया गया हैं।
ध्वनी प्रदूषण अधिनियम 2000 –
ध्वनी प्रदूषण अधिनियम 2000 को ध्वनी प्रदूषण पर नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया हैं। यह अधिनियम 14 फरवरी 2000 से जारी किया गया हैं। इस अधिनियम में औद्योगिक क्षेत्र, वाणिज्यिक क्षेत्र, रहिवासी क्षेत्र और साइलेंस झोन में कितने लीमीट तक ध्वनी होनी चाहिए इसके बारे में स्पष्टीकरण दिया हैं। इसके अलावा इस अधिनियम में दिन और रात इन शब्दों का भी स्पष्टीकरण दिया हुआ हैं। ध्वनी प्रदूषण अधिनियम 2000 के अनुसार सुबह 6 से रात 10 तक का समय दिन माना जाएगा और रात 10 से सुबह 6 तक का समय रात का समय माना जाएगा। इस समय में ध्वनी के नियमों का स्पष्टीकरण इस अधिनियम में किया गया हैं।
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986-
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 को संसद में 23 मई 1986 को पारित किया। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 19 नवंबर 1986 को लागू किया गया। इस अधिनियम में चार अध्याय और 26 धाराएं हैं। यह अधिनियम पर्यावरण का प्रदूषण रोकने के लिए और पर्यावरण के समस्याएं मिटाने के लिए बनाया गया हैं।
इस अधिनियम में पर्यावरण, पर्यावरण प्रदूषण, खतरनाक पदार्थ, हैंडलिंग, निर्धारित इन शब्दों का स्पष्टीकरण दिया हैं। इस अधिनियम का उद्देश्य 1972 में हुए स्टोकहोम काॅन्फ्रेंस में लिए हुए निर्णयों का कार्यान्वय करना, पर्यावरण का विकास करना, पर्यावरण के प्रदूषण को बढ़ावा देने वालों को सजा देना, जीवन की सुरक्षा करना यह हैं।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 –
भारतीय संसद द्वारा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 1972 साल में लागू किया गया। यह अधिनियम वन्यजीव के संरक्षण से संबंधित हैं। यह अधिनियम पुरे भारत में लागू हैं। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में वन्यजीव वार्डन, वन्यजीव सलाहकार बोर्ड , उनके कर्तव्य और अधिकार इसके बारे में स्पष्टीकरण दिया हैं। इस अधिनियम द्वारा वन्यजीवों के शिकार पर रोक लगा दी हैं।
कुछ मामलों में वाॅर्डन की सहमती से शिकार की अनुमति दी जाती हैं। इस अधिनियम में अलग अलग वन्यजीवों की छह अनुसुचियां बनाई गई हैं और उनके सुरक्षा के बारे में स्पष्टीकरण दिया हैं। इस अधिनियम द्वारा राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड के स्थापना के बारे में स्पष्टीकरण दिया हैं। यह बोर्ड वन्यजीवों के सुरक्षा के मामले में केंद्र सरकार को सलाह देता हैं। यह बोर्ड वन्यजीवों का संरक्षण और विकास करने को बढ़ावा देता हैं।
पर्यावरण वकील ( Environment Lawyer ) कैसे बनें ? –
- अगर आप प्रर्यावरण वकील बनना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले 12th या ग्रेजुएशन पुरा करना हैं। 12 th और ग्रेजुएशन आप सायंस, काॅमर्स, आर्ट्स इसमें से किसी भी स्ट्रीम से पूरा कर सकते हैं।
- 12th या ग्रेजुएशन पुरा होने के बाद आप LLB के लिए एडमिशन ले सकते हैं।
- अगर आप 12 th के बाद LLB के लिए एडमिशन लेना चाहते हैं तो आपको पांच साल का कोर्स करना पड़ेगा और अगर आप ग्रेजुएशन के बाद LLB के लिए एडमिशन लेना चाहते हैं तो आपको तीन साल का कोर्स करना पड़ेगा।
- कुछ युनिवर्सिटी में LLB के लिए एडमिशन लेने के लिए एंट्रेंस एग्जाम ली जाती हैं। एंट्रेंस एग्जाम के मार्क्स पर आपको एडमिशन दिया जाता हैं । कुछ युनिवर्सिटी में एंट्रेस एग्जाम नहीं ली जाती। सिधे 12 th या ग्रेजुएशन के मार्क के बेसिस पर एडमिशन दिया जाता हैं।
- LLB में एडमिशन लेने के बाद अच्छे से पढ़ाई करें और अगर आप पर्यावरण वकील बनना चाहते हैं तो पर्यावरण कानून की अच्छे से पढ़ाई करें। पर्यावरण कानून के सभी सेक्शन अच्छे से पढ़े। इसके साथ साथ आप किसी अच्छे पर्यावरण वकील के साथ प्रेक्टिस भी कर सकते हैं।
- जितनी आप ॲडवोकेट के साथ प्रेक्टीस करेंगे उतना आपको सिखने को मिलेगा और आप बहुत ही जल्दी अच्छे पर्यावरण वकील बन सकते हैं।
- आपका LLB का कोर्स पूरा होने के बाद आपको AIBE एग्जाम देनी पड़ती हैं। इसके बाद ही आप कोर्ट में केस लड़ सकते हैं।
- AIBE एग्जाम में पास होने के बाद आप पर्यावरण वकील बनकर कोर्ट में केस लड़ सकते हैं।
निष्कर्ष:
इस पोस्ट में हमने आपको पर्यावरण कानून ( Environmental Law) क्या हैं, पर्यावरण कानून के बारे में विस्तार में जानकारी, पर्यावरण वकील कैसे बनें इसके बारे में जानकारी दी हैं। हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजिए। धन्यवाद !
FAQ:
भारत में तीन पर्यावरण कानून क्या हैं?
संसद ने पर्यावरण की रक्षा के लिए विभिन्न कानून बनाये जैसे – जल अधिनियम 1974, वायु अधिनियम 1981 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1984।
पर्यावरण अधिनियम 1986 क्या है?
पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 केंद्र सरकार को पर्यावरण की गुणवत्ता की रक्षा और सुधार करने, सभी स्रोतों से प्रदूषण को नियंत्रित करने और कम करने और पर्यावरणीय आधार पर किसी भी औद्योगिक सुविधा की स्थापना और/या संचालन को प्रतिबंधित या प्रतिबंधित करने के लिए अधिकृत करता है।
पर्यावरण के चार घटक कौन से हैं?
पर्यावरण के चार प्रमुख घटकों में स्थलमंडल, जलमंडल, वायुमंडल और जीवमंडल शामिल हैं, जो क्रमशः चट्टानें, जल, वायु और जीवन से संबंधित हैं।
पर्यावरण का महत्व क्या है?
स्वस्थ जीवन और ग्रह पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व में पर्यावरण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पर्यावरण का कार्यक्षेत्र क्या है?
पर्यावरण विज्ञान एक बहुविषयक विज्ञान है जिसके बुनियादी पहलुओं की समाज के हर वर्ग से सीधी प्रासंगिकता है। इसके प्रमुख पहलू हैं: प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण। जैव विविधता का संरक्षण।