पारिवारिक कानून क्या हैं ? What Is Family law In Hindi

What Is Family law In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम आपको पारिवारिक कानून (Family Law) क्या हैं इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं। आज‌ पारिवारिक कानून को बहुत महत्व हैं। परिवार में होने वाले मनमुटाव, तलाक, विवाह, उत्तराधिकार यह मामले पारिवारिक कानून से संबंधित हैं। पारिवारिक कानून में इन मामलों के संबंधित विस्तार में जानकारी दी जाती हैं। हमारे देश में अलग अलग धर्म के अलग अलग पारिवारिक कानून हैं जैसे की हिंदू लाॅ, मुस्लिम लाॅ, पारसी लाॅ, ख्रिश्चन लाॅ आदी। पारिवारिक कानून के बारे में विस्तार में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी पोस्ट अंत तक जरुर पढ़िए।

What Is Family law In Hindi

पारिवारिक कानून क्या हैं ? What Is Family law In Hindi

पारिवारिक कानून (Family Law) क्या हैं ? –

परिवार में होने वाले मनमुटाव, तलाक, विवाह, उत्तराधिकार, बच्चा गोद लेना, बच्चे का संरक्षण यह मामले पारिवारिक कानून से संबंधित हैं। पारिवारिक कानून में इन मामलों के संबंधित विस्तार में जानकारी दी जाती हैं। हमारे देश में अलग अलग धर्म के अलग अलग पारिवारिक कानून हैं जैसे की हिंदू लाॅ, मुस्लिम लाॅ, पारसी लाॅ, ख्रिश्चन लाॅ आदी।

परिवार में कुछ ना कुछ झगड़े होते ही हैं तब ऐसे मामले पारिवारिक न्यायालय में फाइल किए जाते हैं। अगर परिवार में किसी व्यक्ती की मृत्यु हो जाती हैं तो उसकी संपत्ति कैसे बटेगी, संपत्ति के कितने हिस्से होंगे , किस व्यक्ती को कितना हिस्सा दिया जाएगा यह सब पारिवारिक कानून के अंतर्गत ही आता हैं।

हिंदू कानून (Hindu Law) क्या हैं ?-

जो लोग हिंदू होते हैं उनके लिए हिंदू कानून बनाए गए हैं। हिंदू लोगों के विवाह के लिए हिंदू विवाह अधिनियम 1955 बनाया गया है। यह अधिनियम जम्मू काश्मीर छोड़कर पुरे भारत में लागू हैं। बौद्ध, सिख, जैन के साथ साथ यह अधिनियम उन सभी लोगों को लागू हैं जो भारतीय कानून के द्वारा हिंदू हैं। इस अधिनियम में सिर्फ विवाह ही नहीं बल्की तलाक के बारे में भी बताया गया हैं।

हिंदू धर्म में विवाह करने के लिए आपकी पहले से पत्नी या पती नहीं होनी चाहिए। अगर आपकी पहले से पत्नी या पति था तो उसके साथ तलाक लेने के बाद आप दुसरी शादी कर सकते हैं। इस अधिनियम द्वारा बहुविवाह पर रोक लगाई गई हैं। हिंदू धर्म में शादी करने के लिए लड़की की उम्र 18 साल और लड़के की उम्र 21 साल होना जरूरी हैं।

हिंदू विवाह अधिनियम 1955 में तलाक के लिए भी नियम दिए हैं। इस अधिनियम के धारा 13 में ऐसी परिस्थितियां दी हैं जिनके आधार पर आप तलाक ले सकते हैं। शादी के एक साल बाद आप शादी के एक साल बाद तलाक के लिए केस फाइल कर सकते हैं। कुछ परिस्थितियों में शादी के बाद एक साल में भी तलाक के लिए केस दर्ज की जाती हैं। व्याभिचार, क्रुरता, रुपांतरण, निर्जनता, रोग, कुष्ठ रोग, मानसिक विकार, मृत्यु का अनुमान, त्याग ऐसी परिस्थितियों में आप तलाक के लिए केस फाइल कर सकते हैं।

मुस्लिम कानून (Muslim Law) क्या हैं ?-

मुस्लिम कानून मुस्लिम धर्म के लोगों के लिए हैं। मुस्लिम धर्म के कानून का मुस्लिम पर्सनल लाॅ एप्लिकेशन एक्ट 1937 यह नाम हैं। इस अधिनियम को 2019 के बाद पुरे भारत में लागू किया गया था। शरीयत और हदीस इन दोनों के आधार पर मुस्लीम समाज चलता हैं। मुस्लिम कानून के अनुसार जब शादी करनी होती हैं तब दुल्हा और दुल्हन के अलावा दो पुरुष गवाहों की और चार स्त्री गवाहों की जरूरत होती है।

शादी के पहले मेहर की रकम तय की जाती हैं। मुस्लिम धर्म में शादी करने के लिए लड़का और लड़की के पिता अलग होना जरूरी है। मुसलमान पुरुष चार स्त्रियों के साथ शादी करके रह सकते हैं। लेकिन मुस्लिम महिला को एक समय पर एक शादी करने की ही अनुमति होती हैं। जब तक पहली शादी से तलाक या खोला नहीं होता तब तक वह स्त्री दुसरी शादी नहीं कर सकती।

पारसी कानून (Parsi Law) क्या हैं ? –

जो लोग पारसी हैं उनको पारसी कानून लागू होता हैं। जब पारसी धर्म में किसी बच्चे का जन्म होता हैं तब झोराष्ट्रियन धर्म के अनुसार उस बच्चे का नवज्योती के रिती में प्रवेश किया जाता हैं। पारसी धर्म में विवाह शाम के बाद ही होते हैं। विवाह के समय पादरी द्वारा पारसी विवाह किया जाता है।

पादरी को दस्तूर इस नाम से जाना जाता है। हथेवेरा इस रिती से विवाह किया जाता हैं। जब पादरी विवाह को प्रमाणित कर देते हैं तो वह विवाह संपन्न हुआ ऐसा माना जाता है। इन लोगों का यह मानना हैं की जिसने पारसी धर्म में जन्म लिया हैं उसे ही इस कानून का लाभ दिया जाएगा और जो व्यक्ती धर्म परिवर्तन करके पारसी धर्म में आया हैं उसे इस कानून का लाभ नहीं मिल सकता।

अगर कोई लड़की या लड़का पारसी धर्म को छोड़कर किसी अन्य धर्म में शादी करता हैं तो उसे पारसी धर्म से अलग माना जाता हैं और उसे पारसी कानून का कोई भी लाभ नहीं दिया जाता। जब जे आर टाटा ने फ्रेंच महिला के साथ शादी की थी तब उसने पारसी धर्म अपनाया था फिर भी उनके बच्चे को पारसी लोगों ने नहीं अपनाया था और उनको पारसी धर्म के धार्मिक स्थल में जाने की अनुमति नहीं दी थी।

पारसी धर्म में अगर किसी व्यक्ती ने किसी बच्चे को दत्तक लिया हो तो उसे कोई भी अधिकार नहीं दिया जाता लेकिन अगर उसके पिता की मृत्यु हुई हो तो उसे अंतिम संस्कार करने का अधिकार दिया जाता हैं क्योंकी उसके पिता के आत्मा को शांति मिल जाए। अगर पारसी व्यक्ती का कोई भी उत्तराधिकारी नहीं हैं और पारसी व्यक्ती की मृत्यु हो जाती है तो उसकी संपत्ति पंचायत के पास चली जाती हैं।

ईसाई धर्म का कानून –

बहुत सालों पहले ईसाई धर्म के लोग भारत में आ गए और इधर ही रहने लगे। ईसाई विवाह अधिनियम 1872 ईसाई धर्म के लोगों के विवाह से संबंधित हैं। अगर ईसाई धर्म में किसी लड़का और लड़की को शादी करनी हैं तो दोनों पक्षों में से किसी एक के तरफ से चर्च के पादरी को सूचना देनी पड़ती हैं। शादी होने के बाद शादी का प्रमाणपत्र देना यह चर्च के पादरी की जिम्मेदारी होती हैं। ईसाई धर्म में तलाक को सही नहीं माना जाता।

जब ईसाई धर्म में कोई शादी होती हैं तब उन्हें मृत्यु तक एक दुसरे का साथ निभाना पड़ता हैं। लेकिन अगर दोनों के बीच बहुत ही बुरे हालात बन जाते हैं तो उनको शादी नल एंड वाॅइड करने का मतलब रद्द करने का तरीका दिया जाता हैं। अगर उनको शादी रद्द करवानी हैं तो उनको सबसे पहले चर्च में आवेदन देना पड़ता हैं।

सबसे पहले चर्च में दोनों का झगड़ा सुलझाने की कोशिश की जाती हैं।अगर फिर भी कुछ ठीक नहीं हुआ तो दोनों को छह माह से एक साल के अवधि के लिए दूर रहने को कहा जाता है। उसके बाद भी कुछ ठीक नहीं हुआ तो बाद में सुनवाई शुरू की जाती हैं।

इस पोस्ट में हमने आपको पारिवारिक कानून (Family Law) क्या हैं इसके बारे में जानकारी दी हैं। हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजिए। धन्यवाद !

FAQ:

पारिवारिक कानून की अवधारणा क्या है

पारिवारिक कानून, कानून का वह क्षेत्र है जो पारिवारिक संबंधों को संबोधित करता है। इसमें पारिवारिक रिश्ते बनाना और तलाक और माता-पिता के अधिकारों की समाप्ति के माध्यम से उन्हें तोड़ना शामिल है। यह कानून गोद लेने, बच्चों की हिरासत संबंधी विवाद आदि से संबंधित है।

भारत में पारिवारिक कानून क्या हैं?

भारतीय व्यक्तिगत कानूनों के तहत, आपसी सहमति से तलाक को हिंदू विवाह अधिनियम 1955, विशेष विवाह अधिनियम 1954, पारसी विवाह और तलाक अधिनियम 1939, मुस्लिम विवाह विघटन अधिनियम 1939 और अब तलाक अधिनियम 1869 के तहत भी मान्यता दी गई है।

पारिवारिक कानून के विभिन्न प्रकार क्या हैं?

हिंदू कानून, मुस्लिम कानून, ईसाई कानून और पारसी कानून। हिंदू कानून भारत में सबसे पुराना और सबसे प्रचलित पारिवारिक कानून है।

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