What Is Labour law In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम आपको श्रम कानून (Labour Law) क्या हैं इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं। किसी भी कंपनी में या बिजनेस के लिए श्रमिकों की या मजदुरों की जरूरत होती हैं। किसी भी कंपनी का कार्य अच्छे से चलने के लिए या बिजनेस अच्छे से चलने के लिए मजदूरों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती हैं। हमारे देश में मजदूरों की स्थिती अच्छी नहीं हैं। हमारे देश में कुछ मजदूरों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं।

श्रम कानून क्या हैं ? What Is Labour law In Hindi
मजदूरों के संरक्षण के लिए कुछ कानून बनाए गए हैं जैसे की, कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948, भारतीय गोदी श्रमिक अधिनियम 1934, खदान अधिनियम 1952, कर्मचारी प्रोविडंट फंड अधिनियम 1952, वर्कमॅन कंपनसेशन ॲक्ट 1923 आदी। श्रम कानून के बारे में विस्तार में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी पोस्ट अंत तक जरुर पढ़िए।
औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 क्या हैं ?-
औद्योगिक विवाद अधिनियम को अप्रैल 1947 में लागू किया गया था। इस अधिनियम को औद्योगिक विवाद रोकने के लिए, उनको निपटाने के लिए और श्रमिकों के लिए सुरक्षा उपायों को उपलब्ध करवाने के लिए बनवाया गया था। इस अधिनियम में न्यायालय, बोर्ड, सुलह अधिकारी, अधिकारियों की शक्ति और कर्तव्य, हड़ताल और तालाबंदी के बारे में स्पष्टीकरण दिया हुआ हैं। इस अधिनियम में कुल सात अध्याय हैं और इन सात अध्यायों में 40 धाराओं का समावेश है।
कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम 1923 (वर्कमॅन कंपेसेशन ॲक्ट 1923) –
यह अधिनियम पुरे भारत में लागू हैं। काम करते वक्त श्रमिकों को चोट लग जाती हैं उस वक्त कंपनी के मालिक को भरपाई देनी पड़ती हैं इसी उद्देश्य से वर्कमॅन कंपनसेशन ॲक्ट 1923 बनाया गया है। चोट किस प्रकार की हैं और उसकी भरपाई कितनी दी जाएगी इसके बारे में इस ॲक्ट में बताया हैं। आयुक्त, प्रतिकर, आश्रित, कर्मचारी इसके बारे में इस ॲक्ट में स्पष्टीकरण किया हैं।
लेबर कोर्ट में केस फाइल करने से पहले इन बातों का ध्यान जरूर रखें –
- आप जिस कंपनी में आपने नौकरी की हैं उस कंपनी में नौकरी का प्रमाणपत्र आपके पास होना जरूरी हैं।
- आपने कंपनी में कितने समय के लिए काम किया हैं उसका भी प्रमाणपत्र आपके पास होना जरूरी है।
- आप कंपनी में नौकरी करते समय आपने कंपनी के साथ जो एग्रीमेंट किया था उसकी फोटोकाॅपी आपके पास होनी जरूरी हैं।
- आपको कंपनी में कितना वेतन मिलता था इसका प्रमाणपत्र भी आपके पास होना जरूरी है।
- इसके साथ साथ आप जिस कंपनी में काम कर रहे थे उसी कंपनी में कोई ऐसा व्यक्ती जिसने आपके साथ अन्याय या आपको कोई हानी होते हुए देखा हो उसकी गवाही देने के लिए जरूरत होगी।
लेबर कोर्ट में केस कैसे फइल करें ? –
- अगर आपके साथ कोई भी कंपनी में काम करते समय हानी या आपका शोषण हुआ हो तो आपको सबसे पहले लेबर कोर्ट में केस नहीं फाइल करनी चाहिए। सबसे पहले आपको उस कंपनी के मालिक या उच्च अधिकारी के पास जाकर आपके साथ जो जो गलत हुआ हैं वह आपको बताना हैं। अगर उन्होंने आपकी समस्या हल नहीं की तो आपको इलाके के पुलिस स्टेशन में जाकर कंप्लेंट दर्ज करवाना जरूरी हैं।
- अगर पुलिस स्टेशन में भी आपने जो शिकायत दर्ज की हैं उसपर कोई कार्रवाई नहीं की गई तो आपको एसपी कार्यालय में जाकर आपकी कंप्लेंट दर्ज करनी हैं। अगर एसपी ने भी आपने जो शिकायत दर्ज की हैं उसपर कोई कार्रवाई नहीं की तो आप लेबर कोर्ट में जाकर केस दर्ज कर सकते हैं।
- लेबर कोर्ट में जाने से पहले आपको किसी अच्छे लेबर ॲडवोकेट का चुनाव करना होगा। आपको ॲडवोकेट से आपके मामले पर सलाह लेनी चाहिए। इसके बाद आप ॲडवोकेट के मदद से कोर्ट में केस फाइल कर सकते हैं।
लेबर कोर्ट में केस फाइल करने के बाद क्या होता हैं ?-
- जब आप लेबर कोर्ट में कोई केस फाइल करते हैं तब आपको एक शिकायत की हुई काॅपी दी जाती है। इसके सिवाय कोर्ट की तरफ से उस कंपनी को नोटीस भी भेजी जाती हैं।
- नोटीस भेजने के बाद तीस दिन के अंदर कंपनी के प्रबंधक को कोर्ट के सामने उपस्थित होना जरूरी होता हैं।
- इसके बाद लेबर कोर्ट के द्वारा 45 दिनों के अंदर ही आपके केस की सुनवाई की जाती हैं। अगर 45 दिनों में लेबर कोर्ट द्वारा आपके केस की सुनवाई नहीं की जाती तो आपकी केस अगले लेबर कोर्ट के पास भेज दी जाती है।
- लेबर कोर्ट में केस पर फैसला सुनाने के बाद उस फैसले का पालन करने के लिए कंपनी बाध्य होगी।
लेबर लाॅयर या लेबर एडवोकेट कैसे बनें ?-
- अगर आप लेबर लाॅयर या लेबर एडवोकेट बनना चाहते हैं तो आपको 12 th या ग्रेजुएशन पुरा करना होगा। आप 12 th या ग्रेजुएशन किसी भी स्ट्रिम से ( science , commerce, arts में से कोई भी स्ट्रिम) पुरा कर सकते हैं। इसके बाद आप LLB के लिए एडमिशन ले सकते हैं।
- LLB के लिए एडमिशन लेने के लिए कुछ युनिवर्सिटी में एंट्रेंस एग्जाम देनी पड़ती हैं तो कुछ युनिवर्सिटी में डाइरेक्ट 12 th या ग्रेजुएशन के मार्क्स पर एडमिशन दिया जाता हैं।
- अगर आप 12 th के बाद एडमिशन लेते हैं तो आपको पांच साल का LLB का कोर्स करना पड़ता हैं। अगर आप ग्रेजुएशन के बाद LLB के लिए एडमिशन लेते हैं तो आपको 3 साल का LLB का कोर्स करना पड़ता है।
- अगर आप लेबर लाॅयर बनना चाहते हैं तो आपको लेबर लाॅ इस विषय की अच्छे से पढ़ाई करनी होगी। इस विषय के हर अधिनियम को अच्छे से समझना होगा।
- आपका कोर्स पूरा होने के बाद आपको AIBE की एग्जाम देनी होती हैं। इस एग्जाम में पास होने के बाद आप एडवोकेट बन जाते हैं। इसके बाद आप कोर्ट में केस लड़ सकते हैं।
- अगर आप LLB कोर्स के दुसरे या तिसरे साल से ही किसी अच्छे लेबर लाॅयर के साथ प्रेक्टिस करते हैं तो आप बहुत ही जल्दी अच्छे लेबर लाॅयर बन सकते हैं।
- अच्छा लेबर लाॅयर बनने के लिए लेबर लाॅ की अच्छे से पढ़ाई करना भी जरूरी हैं।
लाॅ काॅलेज में एडमिशन लेने के लिए दस्तावेज (documents)-
लाॅ काॅलेज में एडमिशन लेते समय आपको दस्तावेजों की जरूरत होती हैं। अगर आप लाॅ काॅलेज में एडमिशन लेना चाहते हैं तो आपको पहले से ही डाॅक्युमेंट तैयार रखना जरूरी हैं क्योंकी आपको आगे जाकर किसी समस्या का सामना न करना पड़े। लाॅ काॅलेज में एडमिशन लेने के लिए दस्तावेज-
- जात प्रमाणपत्र
- जात वैधता प्रमाणपत्र
- आधारकार्ड
- पासपोर्ट साइज फोटो
- 10 th और 12 th का गुणपत्र और गुण प्रमाणपत्र
- ग्रेजुएशन का गुणपत्र और गुण प्रमाणपत्र ( अगर आप ग्रेजुएट हैं तो )
- आय प्रमाणपत्र
- अधिवास प्रमाणपत्र
- नाॅनक्रिमिलेयर (कुछ वर्गों के लोगों के लिए)
- सीईटी और एंट्रंस एग्जाम के दस्तावेज (अगर कोई एंट्रेंस एग्जाम एडमिशन के लिए जरूरी हैं तो)
ॲडवोकेट और लाॅयर में क्या फर्क हैं ? –
सभी लोगों को ऐसा लगता हैं की लाॅयर और एडवोकेट एक ही होते हैं लेकिन ऐसा नहीं होता। अगर कोई व्यक्ती एलएलबी का कोर्स पूरा करने के बाद बार काउंसिल की एग्जाम देकर बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन करता हैं तो उसे एडवोकेट कहा जाता हैं। एडवोकेट बनने के बाद वह लोगों को सलाह भी दे सकते हैं और केस भी लड सकते हैं। अगर कोई व्यक्ती लोगों को सलाह देता हैं और श्रमिकों के मामलों में कोर्ट में केस भी लडता हैं तो उसे लेबर ॲडवोकेट कहा जाता है।
लाॅयर वह होता हैं जो सिर्फ एलएलबी का कोर्स पुरा करता हैं । लाॅयर सिर्फ लोगों को सलाह देने का कार्य कर सकता हैं लेकिन लोगों की केस कोर्ट में नहीं लड़ सकता। जिसने सिर्फ एलएलबी का कोर्स पुरा किया हैं और जो सिर्फ लोगों को श्रमिकों के मामलों में सलाह दे सकता हैं उसे लेबर लाॅयर कहा जाता हैं।
इस पोस्ट में हमने आपको श्रम कानून (Labour Law) क्या हैं इसके बारे में जानकारी दी हैं। हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजिए। धन्यवाद !
FAQ:
श्रम कानून क्या हैं ?
श्रम कानून रोजगार में जिम्मेदारियों और अधिकारों को निर्दिष्ट करने वाला कानून है, विशेष रूप से नियोक्ता की जिम्मेदारियां और कर्मचारी के अधिकार।
क्या हैं नए श्रम नियम?
नए श्रम कोड न्यूनतम मजदूरी और समय पर वेतन भुगतान को सार्वभौमिक बनाते हैं। वे कर्मचारियों की व्यावसायिक सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं।
भारत में न्यूनतम वेतन क्या है?
भारत एशिया में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी श्रम लागत का दावा करता है, राष्ट्रीय स्तर पर न्यूनतम दैनिक वेतन लगभग 178 रुपये है
श्रम कानून किसने बनाया?
आधुनिक श्रम कानून का पहला मील का पत्थर 1802 का ब्रिटिश हेल्थ एंड मोरल्स ऑफ अप्रेंटिस एक्ट था, जिसे बड़े सर रॉबर्ट पील द्वारा प्रायोजित किया गया था।