भारतीय दंड संहिता की धारा 113 क्या हैं ? IPC Section 113 In Hindi

IPC Section 113 In Hindi हॅलो ! इस पोस्ट में हम आपको भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 113 क्या हैं इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं। भारतीय दंड संहिता में अपराध और उनकी सजा के बारे में जानकारी दी गई है। भारतीय दंड संहिता को अंग्रेज शासनकाल में लागू किया गया था।

IPC Section 113 In Hindi

भारतीय दंड संहिता की धारा 113 क्या हैं ? IPC Section 113 In Hindi

हमारे भारत देश में किसी व्यक्ती को कोई गैरकानूनी कार्य करने के लिए उकसाना अपराध हैं। इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए भारतीय दंड संहिता में ऐसे अपराध और उनके सजा के बारे में बताया गया हैं।

भारतीय दंड संहिता की धारा 113 में दुष्प्रेरण के सजा के बारे में ही जानकारी दी गई है। जब कोई व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ती को अपराध करने के लिए उकसाता है तब अगर उस व्यक्ती के द्वारा उस अपराध के सिवाय अन्य कोई अपराध हो जाए तो उकसाने वाले व्यक्ती को कैसी सजा मिलेगी, क्या उसे वहीं सजा मिलेगी जिसके लिए उसने उकसाया या अन्य अपराध की सजा मिलेगी जिसके लिए उसने नहीं उकसाया था इसके बारे में भारतीय दंड संहिता की धारा 113 में बताया गया है। भारतीय दंड संहिता की धारा 113 के बारे में विस्तार में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी पोस्ट अंत तक जरुर पढ़िए।

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 113 क्या हैं ?-

भारतीय दंड संहिता की धारा 113 के अनुसार ” दुष्प्रेरित कार्य से कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक द्वारा आशयित से भिन्न हो – जबकि कार्य का दुष्प्रेरण दुष्प्रेरक व्यक्ती के द्वारा किसी विशिष्ट प्रभाव को कारित करने के आशय से किया जाता है और दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप जिस कार्य के लिए दुष्प्रेरक दायित्व के अधीन हैं, वह कार्य के द्वारा आशयित प्रभाव से अलग प्रभाव कारीत करता हैं तब दुष्प्रेरक कारीत प्रभाव के लिए उस प्रकार से ही और उसी विस्तार तक दायित्व के अधीन हैं, मानो उस व्यक्ती ने उस कार्य का दुष्प्रेरण उसी कार्य के प्रभाव को कारित करने के आशय से किया हैं परंतु यह तब जब वह जानता था की दुष्प्रेरक कार्य से यह प्रभाव कारीत होना संभाव्य हैं‌।”

अब इस धारा को हम आपको आसान भाषा में समझाते हैं। अगर उकसाने वाले व्यक्ती को यह पता हैं की वह जिस कार्य के लिए उकसा रहा हैं उसके सिवाय और दुसरा भी कोई अपराध हो सकता है तो ऐसे में उकसाने वाला उस अपराध के लिए दोषी माना जाएगा जिस व्यक्ती को उस अपराध के हो जाने के बारे में भी पता था। ऐसी परिस्थिति में जो जो अपराध उकसाने के वजह से हो गए हैं उन सभी की उकसाने वाले व्यक्ति को सजा मिलेगी।

उदाहरण –

A यह व्यक्ती B इस व्यक्ती को C को चोट पहुंचाने के लिए उकसाता हैं। उकसावें में आकर B यह व्यक्ती C को बहुत पिटता हैं। इससे C की जान चली जाती हैं। A को पहले से यह पता था की C की जान चली जा सकती हैं। ऐसी स्थिती में A को हत्या का दोषी माना जाएगा और A को हत्या की सजा भी दी जाएगी।

FAQ

भारतीय दंड संहिता की धारा 113 में किसके बारे में बताया गया हैं ?

भारतीय दंड संहिता की धारा 113 में दुष्प्रेरण के सजा के बारे में ही जानकारी दी गई है। जब कोई व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ती को अपराध करने के लिए उकसाता है तब अगर उस व्यक्ती के द्वारा उस अपराध के सिवाय अन्य कोई अपराध हो जाए तो उकसाने वाले व्यक्ती को कैसी सजा मिलेगी, क्या उसे वहीं सजा मिलेगी जिसके लिए उसने उकसाया या अन्य अपराध की सजा मिलेगी जिसके लिए उसने नहीं उकसाया था इसके बारे में भारतीय दंड संहिता की धारा 113 में बताया गया है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 113 क्या हैं ?

भारतीय दंड संहिता की धारा 113 के अनुसार ” दुष्प्रेरित कार्य से कारित उस प्रभाव के लिए दुष्प्रेरक का दायित्व जो दुष्प्रेरक द्वारा आशयित से भिन्न हो – जबकि कार्य का दुष्प्रेरण दुष्प्रेरक व्यक्ती के द्वारा किसी विशिष्ट प्रभाव को कारित करने के आशय से किया जाता है और दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप जिस कार्य के लिए दुष्प्रेरक दायित्व के अधीन हैं, वह कार्य के द्वारा आशयित प्रभाव से अलग प्रभाव कारीत करता हैं तब दुष्प्रेरक कारीत प्रभाव के लिए उस प्रकार से ही और उसी विस्तार तक दायित्व के अधीन हैं, मानो उस व्यक्ती ने उस कार्य का दुष्प्रेरण उसी कार्य के प्रभाव को कारित करने के आशय से किया हैं परंतु यह तब जब वह जानता था की दुष्प्रेरक कार्य से यह प्रभाव कारीत होना संभाव्य हैं‌।”

इस पोस्ट में हमने आपको भारतीय दंड संहिता की धारा 113 क्या हैं इसके बारे में जानकारी दी है। हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजिए। धन्यवाद !

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