भारतीय संविधान क्या हैं ? What is Indian Constitution

हॅलो ! इस पोस्ट में हम आपको भारतीय संविधान (Indian Constitution) क्या हैं और संविधान कानून के वकील कैसे बनें इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं। भारत का संविधान दूनिया का सबसे बड़ा संविधान हैं। भारत का संविधान लिखित संविधान हैं। भारत के संविधान को संविधान सभा के द्वारा 26 नवंबर 1949 को‌ पारित किया गया था । भारत का संविधान भारत में 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। भारत के संविधान में 12 अनुसुचियां और 448 अनुच्छेदों का समावेश हैं। जब भारतीय संविधान का निर्माण किया गया था तब इसमें 395 अनुच्छेद थे लेकिन तब यह अनुच्छेद 22 भागों में विभाजित किए हुए थे और तब इसमें 8 अनुसुचियों का समावेश था। संवैधानिक कानून की विस्तार में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी पोस्ट अंत तक जरुर पढ़िए।

भारतीय संविधान क्या हैं ? What is Indian Constitution

भारतीय संविधान की विशेषताएं –

1) दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान –

भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान हैं। भारत का संविधान यह बहुत ही बड़ा दस्तावेज हैं। भारत के संविधान में अब 448 अनुच्छेद और 12 अनुसुचियों का समावेश है। भारत का संविधान बनवाने के लिए 11 महिने और 17 दिन का वक्त लगा था। भारत का संविधान बड़ा होने के बहुत कारण हैं जैसे की बड़ा भौगौलिक आकार, भारत सरकार अधिनियम 1935 का प्रभाव, केंद्र और राज्य दोनों के लिए एक ही संविधान आदी‌।

2) अलग अलग स्त्रोतों से बनाया गया हैं –

भारत का संविधान अलग अलग स्त्रोतों से बनाया गया है। अलग अलग देशों‌ के संविधान से हमारे देश का संविधान बनाया गया हैं। हमारे देश‌ का संविधान बनाने के लिए किस किस देश से क्या क्या लिया गया इसकी जानकारी –

अमेरिका – मौलिक अधिकार , उपराष्ट्रपति का पद, राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया, संविधान की सर्वोच्चता, उच्चतम न्यायालय, न्यायिक पुनर्विलोकन, स्वतंत्र न्यायपालिका, उपराष्ट्रपति और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को पद से हटाने की प्रक्रिया, वित्तीय आपातकाल आदी।

ब्रिटेन – संसद और विधानमंडल की प्रक्रिया, एकल नागरिकता, संसदीय प्रणाली, विधि का शासन, लोक सेवकों की पदावधी , विधि निर्माण प्रक्रिया, संसदीय विशेषाधिकार, मंत्रिमंडल का लोकसभा के प्रति सामुहिक उत्तरदायित्व आदी।

  • कनाडा – केंद्र सरकार द्वारा राज्यपालों की नियुक्ति, संघात्मक व्यवस्था आदी।
  • जापान – अनुच्छेद की प्रस्तावना
  • दक्षिण अफ्रीका – राज्यसभा के सदस्यों का निर्वाचन, संविधान संशोधन प्रक्रिया
  • पूर्व सोवियत संघ – प्रस्तावना में आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक न्याय का आदर्श
  • जर्मनी – आपातकालीन उपबंध
  • फ्रांस- समानता और बंधुता का आदर्श, गणतंत्रात्मक ढांचा
  • आयरलैंड – राष्ट्रपति के निर्वाचन की रिती और राज्य के निती निर्देशक तत्व

ऑस्ट्रेलिया- शक्ती विभाजन, प्रस्तावना की भाषा, संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक, समवर्ती सुची प्रस्तावना

3) मौलिक अधिकार-

मौलिक अधिकार‌ भारतीय संविधान में महत्वपूर्ण हैं। भारतीय संविधान के भाग III में छह मौलिक अधिकार दिए हुए हैं। मौलिक अधिकार भारत में धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक व्यवस्था कायम रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन मौलिक अधिकारों के वजह से अल्पसंख्यांक और अन्य कमजोर वर्गों की भी रक्षा होती हैं। भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार‌-

  • समता का अधिकार
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार
  • संवैधानिक उपचारों का अधिकार
  • स्वतंत्रता का अधिकार
  • धर्म स्वतंत्रता का अधिकार
  • शिक्षा और संस्कृति के संबंधित अधिकार

4) धर्मनिरपेक्षता –

भारत धर्मनिरपेक्ष राज्य हैं। भारत में सभी नागरिक एक ही हैं। भारत में धर्म से लेकर भेदभाव नहीं किया जाता। भारत देश में सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है। भारत के संविधान में लिखा हुआ हैं की धर्म का आधार लेकर सरकारी नौकरियों के जगह पर किसी भी व्यक्ती में भेदभाव नहीं किया जाएगा। भारत में हर नागरिक को उनकी इच्छा के अनुसार किसी भी धर्म का स्विकार करने का और उस धर्म का प्रचार प्रसार करने का अधिकार हैं।

5) लचीला और कठोर संविधान-

भारत का संविधान लचीला और कठोर दोनों भी हैं। जिस तरह से इंग्लैंड का संविधान लचीला हैं उसी तरह से भारत का संविधान लचीला है और जिस तरह से अमेरिका का संविधान कठोर हैं उसी तरह से भारत का संविधान भी कठोर हैं। संविधान में बहुत धाराओं में बदलाव करने की प्रक्रिया सरल हैं इस वजह से भारत का संविधान लचीला बन जाता हैं। भारत के संविधान के कुछ अनुच्छेदों में सदन के सदस्यों की दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती हैं।

संविधान वकील (Constitution Advocate ) कैसे बनें ?

  • अगर आप संविधान वकील बनना चाहते हैं मतलब वकील बनकर संविधान के संबंधित सलाह देना और केस लड़ना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले 12th या ग्रेजुएशन पुरा करना होगा। 12th या ग्रेजुएशन आप किसी भी स्ट्रीम से पुरा कर सकते हैं जैसे की, सायंस, कामर्स, आर्ट्स आदी। इसके बाद आप LLB के कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं।
  • 12 th या ग्रेजुएशन के बाद LLB में एडमिशन लेने के लिए कुछ युनिवर्सिटी में एंट्रेंस एग्जाम ली जाती हैं उसके बाद ही उसके मार्क के बेसिस पर एडमिशन दिया जाता हैं। कुछ युनिवर्सिटी में डाइरेक्ट 12 th या ग्रेजुएशन के बेसिस पर एडमिशन दिया जाता हैं।
  • अगर आप 12 th के बाद LLB के लिए एडमिशन लेना चाहते हैं तो आपको पांच साल का कोर्स करना पड़ता हैं। अगर आप ग्रेजुएशन के बाद LLB के लिए एडमिशन लेना चाहते हैं तो आपको तीन साल का कोर्स करना पड़ता हैं।
  • आप संविधान के मामलों के वकील बनना चाहते हैं तो आपको संविधान कानून इस विषय की अच्छे से पढ़ाई करनी हैं।
  • LLB का कोर्स पूरा होने के बाद आपको AIBE की परीक्षा देनी पडती हैं। इस एग्जाम को पास करने के बाद आप वकील बन जाते हैं। इसके बाद आप कोर्ट में जाकर केस लड सकते हैं।
  • अगर आप LLB कोर्स के दुसरे या तिसरे साल से ही किसी अच्छे संविधान के ॲडवोकेट के साथ प्रेक्टिस करते हैं तो आप बहुत ही जल्दी अच्छे संविधान के वकील बन सकते हैं।

इस पोस्ट में हमने आपको भारतीय संविधान (Indian Constitution) क्या हैं और संविधान कानून के वकील कैसे बनें इसके बारे में जानकारी दी है। हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजिए। धन्यवाद !

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