भारतीय न्याय संहिता की धारा 72 क्या हैं ? BNS Section 72 In Hindi

BNS Section 72 In Hindi हॅलो‌ ! इस पोस्ट में हम आपको भारतीय न्याय संहिता (Bhartiya Nyay Sanhita) की धारा 72 क्या हैं ( What is BNS Section 72 in Hindi) इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं। पहले हमारे देश में भारतीय दंड संहिता यह कानून था। लेकिन अब इसकी जगह भारतीय न्याय संहिता ने ली हैं। अभी संसद द्वारा पारित तीन विधेयकों ने अब कानून का रूप लिया हैं। भारतीय दंड संहिता को अंग्रेजों ने लागू किया था। अंग्रेजों के समय से भारत में भारतीय दंड संहिता लागू थी।

BNS Section 72 In Hindi

भारतीय न्याय संहिता की धारा 72 क्या हैं ? BNS Section 72 In Hindi

अंग्रेजों के काल से जो आपराधिक कानून भारत में लागू थे उनकी जगह लेने वाले तीन संशोधन विधेयकों पर कुछ ही दिन पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दी। अब भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता ने ली हैं। भारतीय न्याय संहिता की धारा 72 में कतिपय अपराधों आदि से पीडित व्यक्ति की पहचान के प्रकटीकरण के बारे में जानकारी दी है। भारतीय न्याय संहिता की धारा 72 क्या है इसके बारे में विस्तार में जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी यह पोस्ट अंत तक जरुर पढ़िए।

भारतीय न्याय संहिता (Bhartiya Nyay Sanhita) की धारा 72 क्या हैं ( What is BNS Section 72 in Hindi) ?-

भारतीय न्याय संहिता की धारा 72 में कतिपय अपराधों आदि से पीडित व्यक्ति की पहचान के प्रकटीकरण के बारे में जानकारी दी है।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 72 के अनुसार

1) जो कोई किसी नाम या अन्य बात को, जिससे किसी ऐसे व्यक्ति की (जिसे इस धारा में इसके पश्चात् पीड़ित व्यक्ति कहा गया है) पहचान हो सकती है, जिसके विरुद्ध धारा 63, धारा 64, धारा 65, धारा 66, धारा 67 या धारा 68 के अधीन किसी अपराध का किया जाना अभिकथित हैं या किया गया पाया गया है, मुद्रित या प्रकाशित करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।

2) उपधारा 1) की किसी भी बात का विस्तार किसी नाम या अन्य बात के मुद्रण या प्रकाशन पर, यदि उससे पीड़ित व्यक्ति की पहचान हो सकती है, तब नहीं होता है जब ऐसा मुद्रण का प्रकाशन-

क) पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी के या ऐसे अपराध का अन्वेषण करने वाले पुलिस अधिकारी के, जो ऐसे अन्वेषण के प्रयोजन के लिए सद्भावपूर्वक कार्य करता है, द्वारा या उसके लिखित आदेश के अधीन किया जाता है ; या

ख) पीड़ित व्यक्ति द्वारा या उसके लिखित प्राधिकार से किया जाता हैं ; या

ग) जहां पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है अथवा वह अवयस्क या विकृतचित हैं वहां, पीड़ित व्यक्ति के निकट संबंधी द्वारा या उसके लिखित प्राधिकार से, किया जाता है ;

परन्तु निकट संबंधी द्वारा कोई ऐसा प्राधिकार किसी मान्यताप्राप्त कल्याण संस्था या संगठन के अध्यक्ष या सचिव से, चाहे उसका जो भी नाम हो, भिन्न किसी अन्य व्यक्ती को नहीं दिया जाएगा।

स्पष्टीकरण – इस अपराध के प्रयोजनों के लिए “मान्यताप्राप्त कल्याण संस्था या संगठन” से केंद्रीय या राज्य सरकार द्वारा इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए किसी मान्यताप्राप्त कोई समाज कल्याण संस्था या संगठन अभिप्रेत हैं।

3) जो कोई उपधारा 1) में निर्दिष्ट किसी अपराध की बाबत किसी न्यायालय के समक्ष किसी कार्यवाही के संबंध में, कोई बात उस न्यायालय की पूर्व अनुज्ञा के बिना मुद्रित या प्रकाशित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।

स्पष्टीकरण – किसी उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के निर्णय का मुद्रण या प्रकाशन इस धारा के अर्थ में अपराध की कोटि में नहीं आता है।

FAQ

भारतीय न्याय संहिता में कितनी धारा हैं ?

भारतीय न्याय संहिता में 356 धारा हैं।

भारतीय न्याय संहिता की धारा 72 में किस बारे में जानकारी दी है ?

भारतीय न्याय संहिता की धारा 72 में कतिपय अपराधों आदि से पीडित व्यक्ति की पहचान के प्रकटीकरण के बारे में जानकारी दी है।

इस पोस्ट में हमने आपको भारतीय न्याय संहिता की धारा 72 क्या हैं इसके बारे में जानकारी दी। हमारी पोस्ट शेयर जरुर किजिए। धन्यवाद !

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